Monday, April 16, 2018
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चीफ जस्टिस गौतम भादुड़ी ने माना किशोर न्याय बोर्ड के नए भवन का किया उद्घाटन, CJ भादुड़ी ने बच्चो को दी सलाह

Chief Justice Gautam Bhaduri inaugurated the new building of the Kishore Justice Board, CJ Bhaduri gives advice to children

रायपुर। छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय बिलासपुर के चीफ जस्टिस गौतम भादुड़ी ने आज माना कैंप स्थित किशोर न्याय बोर्ड के नए भवन का लोकार्पण एवं उद्घाटन किया। दरअसल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे चीफ जस्टिस गौतम भादुड़ी ने भवन के बाहर लगाए गए उद्घाटन शिला का अनावरण किया और लाल रिबन काटकर नवीन भवन का लोकार्पण किया। इस दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायपुर नीलम चंद सांखला, प्रिसिंपल मजिस्टेट ,किशोर न्याय बोर्ड रायपुर प्रियंका अग्रवाल, महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त संचालक अर्चना राणा सेठ भी कार्यक्रम में शामिल हुये।

औपचारिक उद्घाटन के बाद मुख्य अतिथि ने संप्रेक्षण गृह के प्रांगण में वृक्षारोपण किया। उसके बाद उन्होने खेल मैदान, रसोई, आवासीय परिसर एवं लाइब्रेरी का भी अवलोकन किया और संप्रेक्षण गृह की व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

संप्रेक्षण गृह के अवलोकन के बाद मुख्य अतिथि महोदय, विशिष्ट अतिथि ने दीप प्रज्ववलन कर उद्घाटन समारोह का औपचारिक शुभारंभ किया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में स्वागत भाषण एवं प्रतिवेदन वाचन अर्चना राणा ने प्रस्तुत किया। उन्होने विभाग की उपलब्धियों और किशोर न्याय बोर्ड के संबंध में हुये उल्लेखनीय कार्यों की जानकारी दी और उच्च न्यायालय तथा जिला न्यायालय रायपुर द्वारा किये गये सहयोग के लिये धन्यवाद दिया। संप्रेक्षण गृह के बालक शिवम और विवेक वर्मा ने संप्रेक्षण गृह के अपने अनुभव एवं दिनचर्या के बारे में बताया।

किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान मजिस्टेट प्रियंका अग्रवाल ने अपने कार्यकाल में किये गये कार्यों की जानकारी दी और तत्परता के साथ मामलों के निराकरण करने का प्रयास करने की बात कही। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गौतम भादुड़ी ने अपने उद्बोधन में कहा कि, इस जगह का सुधार गृह है। इसका मतलब कि बच्चे यहां अपनी गलती और खुद को सुधारने के लिए आयें हैं। बोर्ड में जो मामले चल रहे हैं, उसका निपटारा जल्दी से जल्दी हो। मुख्य अतिथि महोदय ने बच्चों को हीन भावना से बचने की सलाह दी और कई उदाहरणों के माध्यम से बच्चों को अपनी बात समझाई। उन्होने महर्षि वाल्मिीकी के डाकू से संत बनने का उदाहरण दिया। इसके अलावा भी उन्होने कई उदाहरणों के जरिये बच्चों को जीवन जीने का ढंग और आत्मविश्वास बनाये रखने की सलाह दी।

इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रायपुर नीलम चंद सांखला, ने अपने उदबोधन में कहा कि, बच्चे हमारे समाज की धरोहर है, वह हमारे समाज का  भविष्य है। बच्चों का संभालना और उन्हे अच्छा नागरिक बनाना सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है और जब भी कोई बच्चा गलती करता है, तो इसका मतलब है कि कही किसी से चूक हुई है। इसलिये हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम बच्चों को अच्छा माहौल दें। उन्होने बच्चों से भी गुजारिश की कि, वे अपने मन में ये न सोंचे कि उन्होने जो गलती की है उससे ही उनका जीवन तबाह हो गया, कानून उन्हें अपराधी नहीं मानता, वे अपचारी है और समाज का यह दायित्व है कि जो बच्चे यहां से बाहर जाएं तो उसको गले लगाए और अच्छे से जीवन जीने में मदद करें।

कार्यक्रम में बालिका गृह, एसओएस एवं बाल गृह के बच्चों ने शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी, इन बच्चों के रंगारंग समूह नृत्य ने सभी का दिल जीता। इसके पश्चात मुख्य अतिथि एवं अन्य न्यायाधीशों ने बालिका गृह का भी भ्रमण किया। यहा न्यायमूर्ति महोदय एवं अन्य न्यायाधीशों ने बालिका गृह की बच्चियों का जन्मदिन भी मनाया। 

कार्यक्रम के अंत में अर्चना राणा ने सभी अतिथियों को समृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन महिला बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार पांडेय ने किया। इस संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर के सचिव उमेश उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में रायपुर में पदस्थ सभी न्यायाधीशगण, एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे।

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