Friday, March 23, 2018
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विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इराक में 39 भारतियों के मौत की पुष्टि की, 3 साल पहले हुए था अगुवा  

Foreign Minister Sushma Swaraj

नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में इराक के मोसुल से अगवा किए 39 लोगों की मौत की पुष्टि की है। राज्यसभा में जवाब देते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि बहुत भरे मन के साथ ही सही, लेकिन 3 साल बाद 39 अगवा भारतीयों के इराक में मारे जाने की खबर की मैं पुष्टि करती हूं। विदेश मंत्री ने कहा कि सभी मृत लोगों के डीएनए मिल गए हैं। मृतकों के शरीर को उनके परिवार को सौंपा जाएगा। राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार ने आश्वासन दिया था कि सभी भारतीय जिंदा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कभी न कभी चर्चा जरूर होनी चाहिए।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैंने पिछले साल ही सदन में कहा था कि जब तक मुझे पक्के तौर पर कोई प्रमाण नहीं मिलेगा मैं लापता लोगों को मृत घोषित नहीं करूंगी। कल हमें इराक सरकार की तरफ से सूचना दी गई कि 38 लोगों के डीएनए 100 फीसदी मिल गए हैं और एक व्यक्ति का 70 फीसदी तक डीएनए मिला है। जनरल वीके सिंह मार्टियस फाउंडेशन के सर्टिफिकेट के साथ उनके पार्थिव शरीर लेकर आएंगे। जहाज अमृतसर उतरेगा 31 लोग हिमाचल और पंजाब के हैं, उनके शव परिवार को दिया जाएगा। बचे लोग बिहार और बंगाल के हैं। मैंने कहा था कि पक्के सबूत के साथ क्लोजर करूंगी। जब हम परिवारजन को उनकी पार्थिव शरीर दे देंगे तो उनको क्लोजर रिपोर्ट सौंपेंगे।’

सुषमा स्वराज ने कहा, ‘मुझे 40 अगवा लोगों में से एक जीवित बचे शख्स हरजीत ने फोन किया था और बचाने की अपील की थी। उसने जो भी कहानी बताई थी कि 39 लोगों को सिर में गोली मारी गई और उसे पैर में। वह जंगल में भाग गया, यह सब गलत है। वह अली बनकर ट्रक में छिपकर भागा और इसकी पुष्टि भी जिस कंपनी में काम करता था उसने कर दी है।’

इराक सरकार ने की काफी मदद

सुषमा स्वराज ने कहा कि लापता भारतीयों को खोजने के लिए मेरे सहयोगी जनरल वीके सिंह ने बहुत मशक्कत की। उन्होंने कई बार मोसुल और बगदाद की यात्राएं की और इराक के गांवों तक पहुंचे। जनरल सिंह गांव के एक छोटे कमरे में जमीन पर सोए, लेकिन लापता लोगों के मृत होने का पुख्ता प्रमाण लेकर ही लौटे। उन्होंने कहा, ‘मैं धन्यवाद करना चाहती हूं इराक सरकार का भी जिन्होंने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया। मैं प्रधानमंत्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहूंगी जिन्होंने 3 वर्षों तक मुझे जांच जारी रखना दिया। मैं चाहूंगी कि सदन के सभी सदस्य उन्हें भाव भरी श्रद्धांजलि दें।’

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