Monday, November 19, 2018
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अरुण जेटली ने जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार पर साधा निशाना, फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा- देश को पीएम मोदी जैसा निर्णायक लीडर चाहिए न की, कुमारस्वामी जैसा ट्रेजडी किंग।

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार पर निशाना साधा है। जेटली ने आज कांग्रेस पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को हताश करने का आरोप लगाया। सोमवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में अरुण जेटली ने लिखा, कर्नाटक में इन दोनों दलों का गठबंधन अवसरवादिता की राजनीति से प्रेरित है। जेटली ने कहा कि, नरेंद्र मोदी को बाहर रखने के लिए बनाए गए गठबंधन का न तो कोई सकारात्मक एजेंडा है और न ही यह राज्य की जनता की भलाई के उद्देश्य। इसीलिए आज इस गठबंधन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। देश को पीएम मोदी जैसा निर्णायक लीडर चाहिए न की, कुमारस्वामी जैसा ट्रेजडी किंग।

تم النشر بواسطة ‏‎Arun Jaitley‎‏ في الإثنين، ١٦ يوليو ٢٠١٨

मुझे हिंदी सिनेमा में ट्रेजडी जमाने के डायलॉग याद आ गए

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, एचडी देवेगौड़ा और आईके गुजराल के साथ जो किया है, यह (कर्नाटक का गठबंधन) उसी परंपरा की दोहराव है। जेटली ने आगे लिखा, आदरणीय मुख्यमंत्री (कुमारस्वामी) के बयान को सुनकर मुझे हिंदी सिनेमा में ट्रेजडी जमाने के डायलॉग याद आ गए। महागठबंधन पर निशाना साधते हुए जेटली ने लिखा कि, अगर यह दो पार्टियों के गठजोड़ का नतीजा है, तो उस गठजोड़ के बारे में क्या कहेंगे जो बिना वैचारिक समानता वाली पार्टियां एक-दूसरे से करती हैं।

कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में अपने संबोधन के दौरान कुमारस्वामी रो पड़े थे

उन्होंने कहा कि, पिछले कुछ दिनों में हमने देखा कि कुमारस्वामी भावुक हो गये, (उनकी) आंखें भर आईं तथा उन्होंने बुके एवं मालाएं स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। बता दें कि, बीते शनिवार को जेडीएस कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में अपने संबोधन के दौरान कुमारस्वामी रो पड़े थे। तब उन्होंने इस गठबंधन को लेकर अपनी नाखुशी जताई थी और यह भी कहा था कि इस गठबंधन के लिए उन्हें जहर का घूंट पीना पड़ा है।

कुछ नेता समय-समय पर अपनी विचारधारा बदलते रहते हैं

उन्होंने लिखा, ‘मैंने 26 मई, 2018 को कुछ विपक्षी नेताओं की ‘काल्पनिक विकल्प’ बनाने की महत्वाकांक्षा के बारे में लिखा था। मैंने उस लेख में निष्कर्ष निकाला था कि पिछले कुछ दिनों में एक काल्पनिक विकल्प बनाने पर चर्चा हो रही है। अलग-अलग विचारधारा वाले राजनीतिक दल एक ग्रुप में आने की बात कह रहे हैं। इन नेताओं में कुछ स्वाभाविक हैं तो कुछ ऐसे हैं जो समय-समय पर अपनी विचारधारा बदलते रहते हैं।

 

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