Saturday, December 22, 2018
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रमन बजट 2018: बजट से शिक्षाकर्मियों को एक बार फिर हुई निराशा, अब कमेटी की रिपोर्ट पर टिकी निगाहें

raman singh budget live

रायपुर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज प्रदेश का 18वां बजट पेश किया है। इस बजट में प्रदेश वासियों को कई सौगात दी है। लेकिन छत्तीसगढ़ का एक ऐसा बड़ा वर्ग जिनके लिए फिलहाल इस बजट में कुछ नहीं मिल पाया है। यहीं वजह है कि एक बार फिर प्रदेश के 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों को निराशा हाथ लगी है।

बहरहाल शिक्षाकर्मियों को अभी अपनी मांगों को लेकर थोड़ा इंतजार करना होगा। मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा है कि शिक्षाकर्मियों के मुद्दे पर मुख्य सचिव की कमेटी की सिफारिश के बाद सरकार विचार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि चीफ सिकरेट्री की अध्यक्षता में बनी कमेटी शिक्षाकर्मियों के मुद्दे पर हर बिंदु पर विचार कर रही है। आज शिक्षाकर्मियों के मुद्दे पर सरकार ने कोई बड़ा ऐलान नहीं किया है।

क्या कहना है शिक्षाकर्मी नेताओं का

sanjay shamra Education worker

छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने कहा कि प्रदेश के 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों और उनके परिजनों को प्रदेश के अन्य वर्ग की तरह इस बजट से काफी उम्मीद थी कि शिक्षाकर्मियों के हित में भी कुछ बड़ा निर्णय लिया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है जो अत्यंत निराशाजनक है। रही बात कमेटी के निर्णय की तो 5 मार्च तक हम कमेटी के निर्णय का भी इंतजार करेंगे। हमारी कमेटी से अपेक्षा है कि चूंकि बजट में कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने की बात की गई है। इसलिए शिक्षाकर्मी हित में सही फैसला लिया जाए और 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन मूल शिक्षा विभाग में उनकी पूरी सेवा अवधि की गणना करते हुए की जाए।

vivek dubey

छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी विवेक दुबे का कहना है कि प्रदेश में 80 हजार करोड़ से अधिक के भारी भरकम बजट के प्रावधानो की घोषणा हो और उसमें प्रदेश के सबसे बड़े शैक्षिक कर्मचारी संवर्ग के विषय में कोई घोषणा ना हो तो इससे ज्यादा निराशाजनक बात कुछ और हो ही नहीं सकती। निश्चित तौर पर यह शिक्षाकर्मियों को निराश करने वाला बजट है। अब हमारा इंतजार कमेटी के निर्णय को लेकर है। और हमारी कमेटी से गुजारिश है कि बिना किसी  बंधन के प्रदेश के सभी शिक्षाकर्मियों का मूल शिक्षा विभाग में सेवा हस्तांतरण किया जाए। अगर हमारे हित में निर्णय नहीं होता है तो सही समय पर हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी प्रतिक्रिया रखेंगे।

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