Sunday, July 8, 2018
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छत्तीसग़ढ़ मेडिकल काउंसिल में 10 सालों से जमे अधिकारियों पर क्यो नहीं हो रही कार्रवाई: कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद कार्यालय रायपुर में अनियमितताओं का बोलबाला चरम सीमा पर है। बरसो से मलाईदार पदों में पदस्थ अधिकारियों से भ्रष्टाचार की प्रमाणिकता के साथ शिकायत किए जाने के बावजूद अपने चहेतो के ऊपर कार्रवाई करने के बजाए निष्क्रियता के नये-नये कीर्तिमान बना रहे है। जिससे परिषद की विश्वसनीयता और पारदर्शिता दोनों पर ग्रहण लगता जा रहा है। शिकायतो के प्रकरणों पर कवाई करने में आखिर क्यों कोताही बरती जा रही है। यही नहीं छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद के रजिस्ट्रार तो दस बरसो से ज्यादा समय से एक ही स्थान पर टिके हुए है जिनका की तबादला भी शासन और मेडिकल काउंसिल दिल्ली द्वारा नही किये जाने से सवालिया निशान लग गया है। जबकि मेडिकल काउंसिल मध्यप्रदेश में कई रजिस्ट्रार का बदले जा चुका है लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं करना अपने आप मे चिंतनीय विषय बन गया है।

जबकि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सीनियर मीडिया पैनलिस्ट एवं मीडिया प्रभारी विकास तिवारी ने खुलकर आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा के रूप में तब्दील होने बताया है। जहां बरसो से एक ही स्थान पर बैठे सरकारी अधिकारी एवं पदाधिकारी मेडिकल काउंसिल को विधिवत संचालित करने के बजाय अपना और अपने आरोपित चिकित्सक मित्रो को लाभान्वित कर रहे है,एक शिकायत के सुनवाई में बिलासपुर के एक तथाकथित गठियाबात रोग विशेषज्ञ ने तकरीबन 140 और फर्जी सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को सूची मेडिकल काउंसिल को सौंपी थी जो कि पूरे प्रदेश में गरीब मरीजो को खुलेआम लूट रहे है। इनमें से बहुत से डॉक्टर सत्ताधारी दल और आरएसएस के स्वयंसेवक भी है।इस कारण छत्तीसग़ढ़ मेडिकल काउंसिल इन पर कार्यवाही करने से कतरा रही है।जबकि पुलिस और फॉरेस्ट के बाद सर्वाधिक लूट शायद स्वास्थ के क्षेत्र में होती है। पुराने जमाने की तरह अब न गरीबो के डॉक्टर मिलते है और न गरीब डॉक्टर मिलते है। आज कल डॉक्टरी करने वाले सभी करोड़पति ही मिलते है, भले ही उनकी डिग्री उच्च स्तर की न हो अथवा पूर्णत: फर्जी हो। एक मामले में छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल अभी तक ठीक से पता नहीं लगा पायी है कि सुपर स्पेशलिटी लिखने वाले डॉक्टर की डिग्री सही है क्या ? और क्या वह स्वयं को ऐसी उपाधि लिख रहे हैं जिसका छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल को पता लगाने सालो बीत चुके है लेकिन आज तक पता नही लग सका है। विकास तिवारी द्वारा एक शिकायत के उत्तर में जो कागज दस्तावेज उपलब्ध कराये गये हैं, उनसे उपर्युक्त प्रश्नों का समाधान नहीं मिलता।

छ.ग. आयुर्विज्ञान परिषद (मेडिकल काउंसिल) में उक्त मामला बड़ा रहस्यमय हो गया है। सुनते हैं कि एक डॉक्टर साहब मात्र जनरल मेडिसिन डिग्री  होल्डर हैं,और पूर्व में गठियाबात रोग विशेषज्ञ और शिकायत के बाद अभी गठियाबात रोग ट्रेनी डिग्री लिखकर भोली भाली जनता को गुमराह करके उन्हें दो-पाँच हजार के इंजेक्शन को सत्तर हजार रुपयों में लगाया जाता है वो भी एक ही घुटने में दोनों घुटने के एक लाख चालीस हजार तक वसूल किया जा रहा और फीस मिलाकर साठ-सत्तर हजाऱ तक एक ही बार में देने पड़ता हैं। इतनी फीस तो कैंसर वालों को भी नहीं लगती। न्यायधानी जैसी जगह में एक तथाकथित टे्रन्ड डॉक्टर इतनी लूट मचा रहा है और छत्तीसग़ढ़ मेडिकल काउंसिल सहित स्वास्थ्य विभाग मिटकाए बैठा है।

 

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