रायपुर। छत्तीसगढ़ सयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ के बैनर पर पिछले 22 दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे अनियमित कर्मचारियों ने काम पर वापस लौटने का फैसला कर लिया है। कर्मचारियों ने ये फैसला राजनांदगांव के पूर्व सांसद और वर्तमान महापौर मधुसूदन यादव से मुलाकात के बाद फैसला लिया गया है। डोंगरगढ़ में प्रदेश के सभी पदाधिकारियों की उपस्थिती में पूर्व सांसद मधुसूदन यादव से मुलाकात हुई। इस दौरान सभी प्रमुख चार मांगों पर चर्चा की गई। जिस पर पूर्व सांसद मधुसूदन यादव की तरफ से ठोस आश्वासन दिया गया। कि सरकार उनकी सभी मांगों को मान लेगी। जिसके लिए वे प्रयास करेंगे।
महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष अनिल देवांगन ने जानकारी दी कि प्रदेश भर के एक लाख 80 हजार कर्मचारी कल से काम पर लौट जाएंगे। पिछले 22 दिनों से हड़ताल कर रहे करीब 54 विभागों के कर्मचारियों के भविष्य को देखते हुए ये फैसला लिया गया है। यहीं नहीं उनकी सभी मांगों पर सरकार जल्द फैसला करेंगी इस बात का भी भरोसा जताया है।
रवि गढ़पाले ने बताया कि मेयर मधुसूदन ने हमे आश्वासत किया है कि अनियमित कर्मचारियों के हड़ताल के दौरान कर्मचारियों पर जो भी कार्रवाई हुई है। उन्हे शून्य कर दिया जाएगा। वहीं हड़ताल किए गए इन 22 दिनों का भी वेतन दिया जाएगा। जिसके बाद ही हड़ताल वापस लेने का फैसला किया गया है।
इस दौरान छत्तीसगढ़ सयुक्त प्रगतिशील कर्मचारी महासंघ के सभी 27 जिलों के जिलाध्यक्ष, पांच संभाग के अध्यक्ष और प्रदेश पदाधिकारी मौजूद थे।
ये है मांगे..
शासकीय सेवाओं में आउट सोसर्सिंग ठेका प्रथा को पूरी तरह से समाप्त किया जाये।
पिछले दो-तीन सालों में कर्मचारियों को सेवा से पृथक किया गया हो अथवा छंटनी की गई हो उन्हें सेवा में बहाल किया जाए।
प्रत्येक वर्ष प्रशासकीय स्वीकृति और बजट के नाम पर सेवावृद्धि एवं सेवा से पृथक किये जाने का भय समाप्त कर 62 वर्ष की आयु तक वृत्ति सुरक्षा प्रदान की जाए।
समस्त तृतीय और चतुर्थ वर्ग के अनियमित संविदा, दैनिक वेतन भोगी, केन्द्र व राज्य की योजनाओं में कार्यरत, कलेक्टर दर, मानदेय पर कार्यरत, प्लेसमेंट, अंशकालिक, जॉबदर, स्थानीय प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत तथा अन्य किसी विधि से नियुक्त शासकीय, अर्धशासकीय कार्यालयों के कर्मचारी, अधिकारियों को नियमित किया जाए।