Sunday, September 9, 2018
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मोर्चा के नेता मुठ्ठीभर पदाधिकारी के बदौलत सम्मेलन की तैयारी में, मुख्यमंत्री पसोपेश में क्योकि बहुसंख्यक वर्ग-3 अधूरे संविलियन से नाराज कैसे सफल होगा सम्मेलन

रायपुर। 23 सालों से प्रदेश के लाखो शिक्षाकर्मी अपने मूल विभाग शिक्षा विभाग में संविलियन की माँग को लेकर आंदोलनरत रहे है। इनका आंदोलन इतना वृहद और प्रभाव कारी होता है कि सरकार इन्हें रोकने के लिए कभी एस्मा तो कभी शीर्ष नेताओं को जेल तक में बंद करने में गुरेज नही करता रहा पर हर बार शिक्षाकर्मियो ने सरकार को अपनी छोटी मोटी माँग मनवाने में कामयाब रहे है। इस वर्ष भी शिक्षाकर्मी मोर्चा के बैनर तले बहुत बड़े आंदोलन किया गया जिसके मुख्य कर्ताधर्ता संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे और केदार जैन रहे जिन्हें राज्य शासन ने समझा बुझाकर अचानक हड़ताल वापस कराया बदले में प्रदेश के 1 लाख 48 हजार शिक्षाकर्मीयो को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 1 जुलाई 2018 की स्थिति में संविलियन देते हुए 7 वे वेतनमान का लाभ दिया पर हाथ में वेतन आते ही सहायक शिक्षक lb और 8 साल से कम सेवा अवधि वाले भड़क गए कारण जहाँ सहायक शिक्षको को कम वेतन मिलना रहा वही 8 साल वालो का संविलियन समय बन्धन में अटक गया यही कारण है कि ये बहुसंख्यक वर्ग जिनकी संख्या प्रदेश में 1 लाख 9 हजार है अन्य बचे 8 साल के कम वालो को लेकर छग सहायक शिक्षक फेडरेशन के गठन करके 10 अगस्त प्रदेश स्तरीय फिर 28 अगस्त जिला स्तरीय आंदोलन कर सरकार के खिलाफ अपने 4 सूत्रीय माँग को मनवाने आंदोलन का जबदस्त बिगुल फूक दिए है।

जो आज भी चरणबद्ध जारी है ऐसे में मोर्चा के शीर्ष नेता संजय शर्मा`, वीरेन्द्र दुबे और केदार जैन के मुख्यमंत्री से संविलियन आभार सम्मेलन के लिए समय मांगने की पहल ने आग में घी डालने का काम किया है मोर्चा के ये तीनो नेता मोर्चा के नाम पर अपने अपने संघ के नाम पर अलग अलग मुख्यमंत्री का सम्मेलन कराना चाह रहे है और ये लोग बीजेपी से जुड़े नेताओ के माध्यम से मुख्यमंत्री को रिझाने की भी कोशिश कर रहे है और अपने मुठ्ठी भर बचे खुचे पदाधिकारियो के बदौलत सम्मेलन कराने की नाकामयाब कोशिश कर रहे है। पर मुख्यमंत्री जी इन्हें भाव देते नजर नही आ रहे है कारण शिक्षाकर्मी का बहुत बड़ा वर्ग जो किसी भी सम्मेलन या आंदोलन की सफलता और असफलता का इतिहास गढ़ते हैं मोर्चा के नेता और शासन दोनों से खफा है जिन्हें साधने की कोशिश बीजेपी नेताओं ने तेज कर दिया है अब देखने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक मोर्चा को सम्मेलन का समय देकर वर्ग 3 के आक्रोश को भड़कते हैं या फिर फेडरेशन के नेताओ से जो शुद्ध रूप से वर्ग 3 की लड़ाई लड़ रहे है उनकी माँग पूरा करके उनसे ही सम्मेलन करवाते है। ज्ञात हो कि पिछले दो माह में शिक्षाकर्मी संघो का घटना चक्र इतनी तेजी से घटित हुआ है कि इनके जानकर सहित शासन भी अचंभित है कारण वर्ग 3 के लोग अपने अपने 23 साल पुराने समस्त संगठनों से इस्तीफा देकर फेडरेशन का दमन थाम चुके है। आज 1 लाख 9 हजार सहित 8 साल के कम वाले शिक्षाकर्मी फेडरेशन में सँगठित होकर अन्य संघो के नेताओ का लुटिया डूबा चुके है जिसे बचने मोर्चा के नेता जो अंदर से बिखरा-बिखरा सा है दिखावे के लिए मुख्यमंत्री सम्मेलन का सहारा लेना चाह रहे है अब हमारी नजर सम्मेलन या आंदोलन पर टिकी है जिसका निर्णय वक्त की सुई बतायेगा।

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  1. वोट बैक के लीए खेल खेलना राजनितीक लोगों का काम है परंतू कुछ शिक्षक सांथी ऐसे खिल्लाडी हूए कीअब गद्दार लोगों को फेडरेशन कभी माफ नही करेगी

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