रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को सीएम के विभागों से संबंधित अनुदान मांगों को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने विभागों से संबंधित अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पिछले 14 वर्षों में छत्तीसगढ़ में विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि पिछले 14 वर्षों में विद्युत के क्षेत्र में 28 हजार 151 करोड़ रूपए का निवेश हुआ है, जिसके फलस्वरूप राज्य विद्युत कम्पनी की उत्पादन क्षमता एक हजार 410मेगावाट की तुलना में ढाई गुना बढ़कर तीन हजार 424 मेगावाट तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि हमने विद्युत आपूर्ति का ही लक्ष्य नहीं रखा है, बल्कि विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता को लक्ष्य बनाकर काम किया है, जिससे छत्तीसगढ़ को सरप्लस स्टेट से लेकर जीरो पावरकट स्टेट तक की ख्याति मिली है। सदन में चर्चा के बाद मुख्यमंत्री के विभागों से संबंधित 9777 करोड़ 94 लाख 17 हजार रुपए की अनुदान मांगे ध्वनिमत से पारित कर दी गयीं।
सामान्य प्रशासन विभाग के लिए 324 करोड़ 98 लाख 10 हजार रुपए
सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय के लिए 28 करोड़ 36 लाख 80 हजार रुपए
वित्त विभाग से संबंधित व्यय के लिए 5494 करोड़ 53 लाख 46 हजार रुपए
जिला परियोजनाओं से संबंधित व्यय के लिए 52 करोड़ 75 लाख रुपए
ऊर्जा विभाग से संबंधित व्यय के लिए 2467 करोड़ 85 लाख 76 हजार रुपए
खनिज साधन विभाग से संबंधित व्यय के लिए 708 करोड़ 78 लाख 79 हजार रुपए
जनसंपर्क विभाग से संबंधित व्यय के लिए 225 करोड़ 47 लाख 50 हजार रुपए
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के लिए 416 करोड़ 07 लाख 84 हजार रुपए
विमानन विभाग के लिए 59 करोड़ 10 लाख 92 हजार रुपए की अनुदान मांगे शामिल हैं।
सितम्बर 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य: मुख्यमंत्री डॉ. सिंह
मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि अब हम क्वालिटी पावर सप्लाई में भी पहचान बनाने में सफल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली का उत्पादन और उपलब्धता के कारण प्रदेश में चार हजार 233 मेगावाट की अधिकतम मांग को पूरा करने का भी नया कीर्तिमान स्थापित किया है। बेहतर प्रबंधन से वितरण हानि की दर को 40 प्रतिशत से कम कर 19प्रतिशत लाने में सफलता प्राप्त की है। जिससे हर वर्ष उपभोक्ताओं को लगभग 1500 करोड़ रूपए का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट सेक्टर परफार्मेंस आधारित मूल्यांकन में राज्य की उत्पादन कम्पनी के विद्युत घरों को देश भर में अग्रणी होने का गौरव मिला है। राज्य उत्पादन कम्पनी संचालित संयंत्रों का पीएलएफ 72 प्रतिशत प्राप्त कर देश में चौथे स्थान पर है। राज्य सरकार की नीतियों के कारण प्रदेश में विभिन्न बिजली उत्पादकों के माध्यम से समग्र उत्पादन क्षमता चार हजार 313 मेगावाट से बढ़कर 22 हजार 851 मेगावाट हो गई है। डॉ. सिंह ने कहा कि हमने वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों पर भी काम किया है। हमने ’मुख्यमंत्री सौर शक्ति’ योजना प्रारंभ की है, जिससे अपने उपयोग की बिजली अपनी छत पर पैदा की जा सकती है। विद्युत पारेषण की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 14वर्षों में राज्य में अति उच्च दाब उपकेन्द्रों की संख्या 39 से बढ़कर 97 हो गई है, वहीं अति उच्च दाब लाइन चार हजार 845 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर 11 हजार 096 सर्किट किलोमीटर हो गई है। उन्होंने कहा कि ये काम किसी जादू से नहीं होता, बल्कि लगातार योजना बनाकर काम करने से होता है। निरंतर सुधार के कारण पारेषण हानि चार प्रतिशत से घटकर 2.81 प्रतिशत तक हो गई है। इससे भी बिजली की उपलब्धता बढ़ी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गांव में एक बल्ब लटकाकर भी उस गांव को विद्युतीकृत घोषित कर दिया जाता था। इसके बावजूद 52 वर्षों में सिर्फ 89 प्रतिशत गांवों तक विद्युतीकरण किया जा सका था। अब विद्युतीकरण की परिभाषा बदल चुकी है। हमने मार्च 2018 तक प्रदेश के हर घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि मार्च 2015 की स्थिति में एक हजार 080 अविद्युतीकृत गांवों में बिजली अधोसंरचना तथा बीपीएल परिवारों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन के कार्य शेष थे, जिसमें 985 गांवों का विद्युतीकरण पूर्ण हो चुका है। शेष बचे सुकमा और बीजापुर जिले के 95 अविद्युतीकृत गांवों को मार्च 2018 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। प्रदेश के सभी मजरा-टोलों को विद्युतीकृत करने के लिए हमने 2014-15 में मुख्यमंत्री मजरा-टोला योजना शुरू की थी। प्रदेश के 71 हजार 123 बसाहटों में बिजली पहुंच चुकी है। शेष छह हजार 317 बसाहटों को सितम्बर 2018 तक विद्युतीकृत करने का लक्ष्य। प्रधानमंत्री सहज बिजली-हर घर बिजली योजना (सौभाग्य) के तहत 832 करोड़ रूपए की लागत से अविद्युतीकृत छह लाख24 हजार घरों में बिजली कनेक्शन प्रदान किया जा रहा है।
किसानों को निःशुल्क बिजली पर 5500 करोड़ से अधिक का अनुदान
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या 73 हजार से बढ़कर चार लाख 70 हजार तक पहुंच गई है, जिसके कारण एग्रीकल्चर लोड 310 मेगावाट से बढ़कर 1048 मेगावाट तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि इनमें से चार लाख 57 हजार किसानों को कृषक जीवन ज्योति योजना के अंतर्गत 7500 यूनिट तक निःशुल्क विद्युत उपलब्ध कराई जा रही है। इस प्रकार प्रत्येक किसान को प्रतिवर्ष 37 हजार रूपए की सहायता मिल रही है, जो किसानों को वितरित धान बोनस की राशि से अधिक है। अब तक किसानों को विद्युत पर 5500 करोड़ रूपए से अधिक का अनुदान दिया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को खनिज से मिलने वाले राजस्व में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2003-04 में खनिजों से 637 करोड़ रूपए का राजस्व मिलता था, जो वर्ष 2017-18 में बढ़कर 4800 करोड़ रूपए होने का अनुमान है, जो 2003-04 की तुलना में 7.5 गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस नीति के तहत छत्तीसगढ़ सबसे सफल उदाहरण है। ई-ऑक्सन के माध्यम से खदानों के आवंटन में पारदर्शिता, सुगमता और जनसामान्य में आवंटन प्रक्रिया में विश्वसनीयता बढ़ी है। छत्तीसगढ़ में डीएमएफ में भी उल्लेखनीय काम हुए हैं। अब तक इस मद में 2557 करोड़ रूपए जमा हो चुका है। अब तक डीएमएफ से 2800 करोड़ रूपए की लागत से 26 हजार 664 कार्यों की स्वीकृति दी जा चुकी है। डीएमएफ की राशि से मुख्य खनिजों के खदानों के आसपास के 74 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए 100 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की गई है, जहां सभी बुनियादी सुविधा उपलब्ध होंगी। डीएमएफ की राशि से कई अभिनव कार्य भी हुए हैं, जिनमें दंतेवाडा और बीजापुर में सर्वसुविधायुक्त अस्पताल, कोरबा में विशाल शिक्षा परिसर, रायपुर में सेंट्रल लाईब्रेरी और ऑक्सी शैक्षणिक जोन तथा दंतेवाड़ा में युवा नामक बीपीओ कॉल सेंटर की स्थापना की गई है, जहां बस्तर के 450 युवाओं को रोजगार मिला है। छत्तीसगढ़ खनिज विकास निधि में अब तक एक हजार 419 करोड़ रूपए का अंशदान प्राप्त हुआ है। इससे 600 करोड़ रूपए सड़क के लिए, 275 करोड़ रूपए रेल नेटवर्क के लिए तथा 103 करोड़ रूपए विमानन सेवा नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सामान्य प्रशासन विभाग के अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में 27 जनजातियों के उच्चारण संबंधी विभेदों को मान्य किया गया है, इसके कारण पांच लाख परिवारों को राहत मिली है। इनके जाति प्रमाण पत्र बनने में आसानी हुई है। उन्होंने कहा कि अविवाहित अथवा विधुर शासकीय सेवक जिसके पुत्र-पुत्री नहीं है, उनके आश्रित माता-पिता, भाई-बहन को भी चतुर्थ श्रेणी के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति के लिए शैक्षणिक अर्हता मे छूट दी गई है।
क्षेत्रीय विमान कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने विमार्न इंधन पर वेट की दर एक प्रतिशत
विमानन विभाग से संबंधित मांगों पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विमान सेवाओं में काफी विस्तार हुआ है। 2003 में रायपुर में तीन विमान आते थे, जिससे साल भर में एक लाख यात्री ही सफर कर पाते थे। अब यहां 23 फ्लाइट आती और जाती है, जिससे साल भर में 15 लाख से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विमान सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए विमान के इंधन पर वेट की दर 25 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत किया है। साथ ही रिजनल कनेक्टिविटी के विस्तार के लिए विमान के इंधन पर वेट की दर चार प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत किया गया है। अधोसंरचनात्मक विकास के अंतर्गत बलरामपुर और जशपुर में नवीन हवाई पट्टी विकसित की गई है। बीजापुर और दंतेवाड़ा में भी हवाई पट्टी का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रिजनल कनेक्टिविटी योजना के तहत राज्य के भीतर विमान सेवा प्रारंभ करने के लिए अम्बिकापुर और जगदलपुर एयरपोर्ट के विकास का कार्य पूर्ण हो चुका है। बिलासपुर के चकरभाटा एयरपोर्ट में भी निर्माण कार्य प्रगति पर है।
स्काई योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में 40 लाख, शहरी गरीबों तथा महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को दिए जाएंगे पांच-पांच लाख स्मार्ट फोन
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटी, कपड़ा, मकान और बिजली के साथ मोबाइल कनेक्टिविटी भी लोगों की सर्वोच्च आवश्यकताओं में शामिल हो गई है। इसलिए मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए योजनाबद्ध ढंग से काम कर रहे हैं। बस्तर नेट परियोजना के अंतर्गत बस्तर के सातों जिलों में 65 करोड़ रूपए की लागत से 836 किलोमीटर लम्बी ऑप्टिकल फाईबर केबल बिछाई जा रही है, जिसमें से 200 किलोमीटर का काम पूरा हो गया है। इसी तरह भारत नेट के प्रथम चरण में 65 विकासखण्डों की 4100 ग्राम पंचायतों को इंटरनेट कनेक्टिविटी दी जा चुकी है। इस परियोजना के द्वितीय चरण मे 1624 करोड़ रूपए की लागत से 5987 ग्राम पंचायतों को कनेक्टिविटी देने के लिए 32466 किलोमीटर ऑप्टिकल फाईबर केबल बिछाया जाएगा। उन्होंने कहा कि संचार क्रांति योजना (स्काई) के तहत 50 लाख स्मार्ट फोन वितरित किए जाएंगे। इसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 40 लाख और शहरी गरीबों को पांच लाख तथा महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को पांच लाख स्मार्ट फोन दिए जाएंगे। इसके लिए 700 टावर लगाए जाएंगे। केन्द्र सरकार के सहयोग से 146 मोबाइल टावर पहले ही लगाए जा चुके हैं। केन्द्र सरकार द्वारा 1800 करोड़ रूपए की लागत की 1028 नये टावर लगाने की स्वीकृति दी गई। इस प्रकार कुल दो हजार 646 टावर लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने योजनाओं के मॉनिटरिंग के लिए संचालित जनसंवाद परियोजना की भी जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने जनसम्पर्क विभाग के अनुदान मांगों पर चर्चा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत पत्रकारों के लिए 80 हजार रूपए तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा दी गई है। उन्होंने मीडिया कर्मी दुर्घटना बीमा योजना, पत्रकार सम्मान निधि योजना और पत्रकार कल्याण निधि की भी जानकारी दी।