रायपुर। छत्तीसगढ़ पंचायत एवं नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा द्वारा मूल्यांकन कार्य में बहिष्कार की घोषणा को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है यही वजह है कि सरकार ने आनन फानन में मूल्यांकन कार्य को अति आवश्यक कार्य की श्रेणी में शामिल करने का पत्र मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किया गया है ।गौरतलब है कि अगर मूल्यांकन कार्य को अति आवश्यक कार्य की श्रेणी में रखा जाएगा। तो शिक्षा कर्मियों के खिलाफ एस्मा जैसी बड़ी कार्यवाही की जा सकेगी यानी शिक्षाकर्मियों पर लगाम कसने के लिए मूल्यांकन कार्य को अति आवश्यक कार्य बताते हुए एस्मा लगाने की तैयारी में है।
गौरतलब है कि शिक्षाकर्मी मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने बयान जारी कर घोषणा की थी कि यदि जल्द ही शिक्षाकर्मियों के लिए गठित मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी शिक्षाकर्मियों के हित में कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है तो फिर शिक्षाकर्मी मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार करने को मजबूर हो जाएंगे। संजय शर्मा के बयान आते ही शासन-प्रशासन ने मूल्यांकन कार्य को सुचारु रुप से निपटाने की तैयारी में जुट गया था और इसी की परिणति है कि आज पत्र सार्वजनिक करते हुए बात का संकेत दे दिया गया है मूल्यांकन कार्य अति आवश्यक कार्य की श्रेणी में आता है अब इसका सीधा सीधा मतलब यह है कि यदि शिक्षाकर्मी मूल्यांकन कार्य की अवहेलना करते हैं तो फिर उन्हें एस्मा की प्रताड़ना झेलनी होगी । शासन-प्रशासन और शिक्षाकर्मियों के बीच हड़ताल के बाद से ही अपनी अपनी रणनीति के तहत एक दूसरे को परेशान करने का खेल जारी है और कमेटी के रिपोर्ट का इंतजार कर रहे शिक्षाकर्मियों को 5 मार्च का इंतजार था जैसे ही 5 मार्च गुजरा और प्रशासन कमेटी के अंतिम फैसले पर नहीं पहुंच सके वैसे ही संजय शर्मा ने मूल्यांकन बहिष्कार की संभावना का तीर छोड़ दिया और यह तीर सही निशाने पर भी लगा है क्योंकि इस पत्र के जारी होने से यह तो साफ हो गया कि शिक्षाकर्मियों के एक एक कदम पर सरकार की नजर लगी हुई है और अभी यह खेल और लंबा चलेगा।