Sunday, September 23, 2018
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छत्तीसगढ़ का ऐसा अनोखा गांव जहां सप्ताह भर पहले मना ली जाती है होली

कुरुद (यशवंत गंजीर)। पूरा भारत देश जहां 01और 02 मार्च को होली के रंग में सराबोर होगा। वहीं छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के भखारा नगर पंचायत से 17 किमी दूर ग्राम सेमरा (सी) में आज और कल  होली खेल ली जाएगी। करीब दो सौ की आबादी वाले सेमरा गांव के ग्रामीण सैकड़ों वर्षों से इस अनोखी परम्परा को निभा रहे हैं। ग्राम देवता का मान रखने के लिए इस गांव के निवासी होली का त्योहार तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व ही मना लेते हैं।

होली 02 मार्च को है लेकिन सेमरा सी में 25 फरवरी (रविवार) को ग्रामवासी पूरे उत्साह और उमंग के साथ इसे मनाने की तैयारी कर चुके हैं। इस परंपरा की शुरुआत कब हुई, इसे ग्रामवासी आज भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं। गांव के उमेश देवांगन, गजेंद्र सिन्हा, कामता निषाद और कुछ अन्य के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व उनके गांव में कोई बुजुर्ग आए और यहीं बस गए। उनका नाम सिरदार था। गांव वालों को उनमें बहुत आस्था थी और उन्हें ग्राम देवता माना जाता है। मान्यता के अनुसार उनके ही कहने पर इन चार त्यौहारों (होली, हरेली, पोला और दीपावली) को गांववालों ने निर्धारित तिथि से एक हफ्ता पहले मनाने की परम्परा शुरू कर दी।

ग्राम सेमरी (सी) के सरपंच सुधीर बललाल ने बताया कि इस वर्ष 24  फरवरी को होलिका दहन किया जा रहा है 25 फरवरी को परम्परा के अनुसार होली खेली जाएगी। रात्रि को ग्राम देवता के मंदिर में परंपरा अनुसार पूजा के बाद होलिका दहन किया जाएगा दूसरे दिन सुबह पुन: ग्राम देवता की विधि विधान के साथ पूजा के बाद रंग-गुलाल खेला जाएगा।

मौत के डर से इस गांव में सप्ताहभर पहले मना ली जाती है होली

गांव की फाग मंडली नगाड़ों की धुन में फाग गायन करते है, फाग गीतों के स्वर फूटते ही गांव के बच्चे, युवा और बुजुर्ग डंडा नृत्य पर जमकर झूमते है इसी तरह इस गांव में दीपावली, पोला और हरेली के पर्व को भी तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व ही मना लिया जाता है।

अब तक किसी ने भी अपने पूर्वजों के जमाने से चली आ रही इस परम्परा से मुंह नहीं मोड़ा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस परम्परा की शुरुआत कब हुई, इससे ग्रामीण अनजान हैं। यहां ग्राम देवता सिरदार देव के स्वप्न को साकार करने के लिए प्रतिवर्ष त्योहार एक सप्ताह पूर्व ही मना लिए जाते हैं।

सैकड़ों वर्ष पूर्व इस गांव में एक बुजुर्ग आकर रहने लगा. उनका नाम सिरदार था। उनकी चमत्कारिक शक्तियों एवं बातों से गांव के लोगों की परेशानियां दूर होने लगी। लोगों में उनके प्रति आस्था व श्रद्धा का विश्वास उमड़ने लगा, समय गुजरने के बाद सिरदार देव के मंदिर की स्थापना की गई।

मान्यता है कि किसी किसान को स्वप्न देकर सिरदार देव ने कहा था कि प्रतिवर्ष दीपावली, होली, हरेली व पोला ये चार त्योहार हिंदी पंचाग में तय तिथि से एक सप्ताह पूर्व मनाए जाएं ताकि इस गांव में उनका मान बना रहे। तब से ये चार त्योहार प्रतिवर्ष ग्रामदेव के कथनानुसार मनाते आ रहे हैं।

 

 

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