Wednesday, May 23, 2018
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छत्तीसगढ़ धान के कटोरा के बाद इथेनाल का कटोरा भी बन सकता है : नितिन गडकरी

After the rice bowl of Chhattisgarh paddy, a bowl of ethanol can also be made : Nitin Gadkari

रायपुर। राष्ट्रीय कृषि मेले के तीसरे दिन मेला परिसर में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के किसानो को परंपरागत फसलों की खेती को छोडकर अधिक आय देने वाली फसलों की खेती के लिए आगे आना होगा। इसके लिए किसानों को नये प्रयोगों और अनुसंधानों को अपनाना होगा।

गडकरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि मेले की शुरूआत कर एक अच्छी पहल की है। इससे किसानों को खेती किसानी से संबंधित नई तकनीकों और नये अनुसंधानों की जानकारी मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि, छत्तीसगढ़ में धान के भरपूर उत्पादन को देखते हुए यहां धान पैरा एवं धान भूसी पर आधारित अनुसंधान केन्द्र खोला जाना चाहिए।

गडकरी ने कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के ग्यारह जिलों के किसानों द्वारा उत्पादित जैविक उत्पादों का लोकार्पण किया। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा विकसित ई-कृषि पंचाग मोबाईल एप का लोकार्पण तथा विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कृषि दर्शिका का विमोचन भी किया।

कार्यक्रम में कृषि, पशुपालन और मछली पालन विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत हितग्राहियों को अनुदान राशि की चेक एवं सामग्री प्रदान की गई। आत्मा योजना के तहत किसानों को जिला स्तरीय पुरस्कार भी प्रदान किए गए।

गडकरी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत चावल, गेहू एवं अन्य अनाजों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है। इसलिए अब किसानों को अनाज के स्थान पर दलहन-तिलहन और अन्य ऐसी फसलों का उत्पादन करना होगा जिनका हम विदेशों से आयात करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में प्रमुख फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी के बावजूद खेती की लागत में इजाफा होने के कारण किसानों को उनकी उपज की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है। आज चावल, गेहूं, सोयाबीन और शक्कर की कीमत अन्तर्राष्ट्रीय बाजार द्वारा तय होती है।

फसलों की कीमत मांग और आपूर्ति के सिद्धान्त पर निर्भर करती है। आज पूरा विश्व खुले बाजार के रूप में काम कर रहा है। अन्य देशों में फसलों की कीमत कम होने पर यहां भी उनकी कीमतों में गिरावट आना तय है। ऐसे में किसानों को ऐसी फसलों के उत्पादन के लिए आगे आना होगा जिनकी कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छी है।

इसके साथ ही उन्हें फसलों के मूल्य संवर्धन और समन्वित खेती के मॉडल को अपनाना होगा, जहां फसल उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन, डेयरी, मछलीपालन, शहद उत्पादन आदि को भी शामिल करना होगा।

गडकरी ने कहा कि धान के पैरे से सेकन्ड जनरेशन इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है। एक टन पैरे से ढाई सौ लीटर इथेनॉल बनाया जा सकता है जिसकी लागत 22 रूपये प्रति लीटर पडती है। इस इथेनॉल से वाहनों को चलाने के सफल परीक्षण किये जा चुके हैं। भारत सरकार  वाहनों में इथेनॉल के उपयोग के अनुमति देने का निर्णय ले चुकी है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो छत्तीसगढ़ में ही इथेनॉल उत्पादन के 100 करखाने लग सकेंगे। इससे छत्तीसगढ़ के किसान लाभान्वित होंगे। छत्तीसगढ़ धान के कटोरा के बाद इथेनाल का कटोरा भी बन सकता है।

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