रायपुर। प्रदेश में जोर शोर से शुरु किए लोकसुराज अभियान के तहत शिक्षाकर्मियों और उनके परिजनों ने भी बड़ी संख्या में संविलियन की मांग को लेकर आवेदन किए थे। जिसके चलते प्रदेश भर में सबसे अधिक आवेदन पंचायत विभाग में जमा हुए थे। पंचायत विभाग में जमा हुए आवेदनों की संख्या 7 लाख से अधिक थी। लोक सुराज के अंतिम चरण के अंतिम दिन जब शिक्षाकर्मी अपने आवेदनों की स्थिति देखने के लिए ऑनलाइन जा रहे हैं। तो आज भी उनका आवेदन अपूर्ण दिखा रहा है जिसका सीधा सा मतलब है कि शिक्षाकर्मियों के मामले का कोई निराकरण नहीं किया गया और उसे जस का तस छोड़ दिया गया जिसे लेकर शिक्षाकर्मियों में गहरी नाराजगी है ।
लोक सुराज अभियान के पहले एक सरकारी प्रपत्र भी जारी हुआ था जिसमें पंचायत विभाग के अंतर्गत संविलियन के संबंध में सवाल पूछे जाने का जिक्र था। जिसके बाद शिक्षाकर्मियों ने बढ़-चढ़कर लोक सुराज अभियान में अपने और अपने परिजनों के नाम से आवेदन जमा किया था। लेकिन शिक्षाकर्मियों के विषय में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। अब शिक्षाकर्मी सवाल उठा रहे हैं कि जब आवेदनों का निराकरण ही नहीं करना था तो फिर उनसे आवेदन मंगाए क्यों गए। एक तरफ सरकार जहां 99% आवेदनों के समाधान की बात कह रही है वही शिक्षाकर्मियों के आवेदन कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं ।
शिक्षाकर्मियों का बढ़ रहा है आक्रोश, ये कहना है शिक्षाकर्मी नेताओं का..
छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रदेश संचालक संजय शर्मा का कहना है कि लोक सुराज अभियान के अंतर्गत प्रदेश की जनता से उनकी समस्याओं को लेकर आवेदन मंगाया गया था। इसी कड़ी में शिक्षाकर्मी और उनके परिजनों ने भी अपने संविलियन की मांग को लेकर अपनी समस्याओं को बताते हुए सरकार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। जिस पर घोषणा अनुसार फैसला लेना था। लेकिन आज लोक सुराज के अंतिम दिन भी उनके आवेदन की अंतिम स्थिति अपूर्ण बताई जा रही है जिसका सीधा सा मतलब है शिक्षाकर्मियों के आवेदन पर विचार ही नहीं किया गया है और एक बार फिर शिक्षाकर्मियों की अनदेखी की गई है जो कि शिक्षाकर्मियों को आक्रोशित करने वाला कदम है ।
छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी विवेक दुबे ने बताया कि प्रदेश के लाखों शिक्षाकर्मियों ने सरकार के लोक सुराज अभियान पर विश्वास करते हुए ऑफलाइन और ऑनलाइन आवेदन जमा किया था। ताकि उनके समस्याओं का भी निराकरण हो सके लेकिन आज जब 3 माह चले लोक सुराज अभियान के अंतिम चरण के अंतिम दिन वह अपने आवेदन की स्थिति चेक कर रहे हैं तो आज भी उनका आवेदन अपूर्ण बताया जा रहा है जिसका स्पष्ट मतलब है कि शिक्षाकर्मियों के आवेदन को गंभीरता से लिया ही नहीं गया है और लोक सुराज भले ही किसी के लिए भी कितना ही सार्थक क्यों ना हो शिक्षाकर्मियों के लिए पूर्णत: निरर्थक रहा , आज फिर से एक बार शिक्षाकर्मी खुद को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं और जिसके कारण उनका आक्रोश बढ़ना स्वाभाविक है।