अमृतसर। विजयदशमी के दिन रावण दहन देखने पहुंचे उन लोगों को क्या पता था कि उनपर मुसीबतों का ऐसा पहाड़ टूट पड़ेगा जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। इस दिल दहला देने वाले हादसे के बाद जो तस्वीरें सामने आईं, उसे देख किसी के भी रोंगटे खड़े जाएंगे। अमृतसर रेल हादसे में अब तक 78 लोगों की जान चली गई है जबकि 70 से अधिक लोग घायल हैं, उनमें से 40 लोगों की हालत बेहद ही नाजुक है और वे जिंदगी और मौत से अस्पताल में जूझ रहे हैं। घटनास्थल पर लोग बदहवास थे, अपने प्रियजनों को ढूंढ रहे थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कैसे रेल की पटरी पर और आसपास पड़े शरीर के टुकड़ों के बीच अपनों की पहचान करें, चारों तरफ चीख-पुकार, मातम और गम में डूबे लोग..
रावण का किरदार करने वाला भी हादसे का शिकार
दलबीर सिंह रामलीला में हर साल राम का किरदार करते थे, लेकिन दोस्तों के आग्रह पर वो इस बार रावण की भूमिका निभा रहे थे। दलबीर सिंह के भाई बलबीर उन कई लोगों में से थे जो इस दुर्घटना में लापता अपने रिश्तेदारों की तलाश में सुबह-सुबह दुर्घटना स्थल पर पहुंचे थे।
लाशों के बीच अपनो को ढूंढती रही गम में डूबी आंखें
लोग लाश से कपड़ों के टुकड़े उठाकर अपने परिजनों की पहचान करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन बुरी तरह से कुचले जा चुके शरीर को परिजन तक पहचान पाने में खुद को असहाय महसूस कर रहे थे। पटरी के पास किसी का पैर पड़ा था तो हाथ कहीं दूर जा गिरा था। वे लोग रात के अंधेरे में कुछ ढूंढ नहीं पा रहे थे। जिस तेज रफ्तार से डीएमयू ने लोगों को रौंदा था, उसके बाद किसी की पहचान करना बहुत ही मुश्किल काम था।
रोती-बिलखती मां रातभर ढूंढती रही अपने बेटे को
घटनास्थल पर एक मां की हालत देखकर हर कोई स्तब्ध था। मां बेचारी अपने जिगर के टुकड़े को ढूंढने की कोशिश कर रही थी, कभी वो अपने बेटे की बात करते-करते हंस पड़ती तो अगले ही पल आंखों से आंसुओं की धार फूट पड़ती। मां कह रही थी, ‘गुल्लू घर बोल कर गया कि ट्रैक के पास रुक कर जलता रावण देखेगा।’ रोते-बिलखते बेचारी मां अपने गुल्लू की तलाश कर रही थी। स्थानीय लोगों का कहना था कि गुल्लू का देर रात तक पता नहीं चल पाया था।