नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि राज्यसभा चुनाव में नोटा (NOTA) का इस्तेमाल नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा यानी None of The Above (NOTA) का विकल्प उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है। न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की तीन जजों की पीठ ने पाया कि नोटा का विकल्प केवल प्रत्यक्ष चुनाव के लिए लागू है, ना कि अप्रत्यक्ष चुनाव जैसे कि राज्यसभा चुनाव। सर्वोच्च अदालत ने ये फैसला गुजरात कांग्रेस के चीफ व्हिप शैलेश मनुभाई परमार की याचिका पर सुनाया है।
मामले में सुनवाई के दौरान 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात कांग्रेस के नेता शैलेश मनुभाई परमार की याचिका पर सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन ने भी राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल का विरोध किया था। उस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग की उस अधिसूचना पर सवाल उठाए थे जिसमें राज्यसभा चुनावों के लिए बैलट पेपर में नोटा की अनुमति दी गई थी। हालांकि इस मामले में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल का फैसला आयोग ने संज्ञान लेकर नहीं किया बल्कि सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश के तहत किया।
चुनाव आयोग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले का पालन करते हुए ही राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करना शुरू किया था। बता दें कि 2013 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह हर मतदाता को वोट डालने का अधिकार है उसी तरह उसे किसी को भी वोट ना देने का अधिकार भी है। सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश सभी चुनाव को लेकर है, चाहे वो प्रत्यक्ष चुनाव हों या फिर अप्रत्यक्ष।