बालोद। पांचवी कक्षा में अध्ययनरत बच्ची की जिन्दगी मधुमक्खी ने छिन ली। जाने माने तीन बड़े अस्पतालों में 12 दिनों तक मौत से लड़ने के बाद आखिर कार अब दुनिया को अलविद कह गई।
दरअसल बालोद जिले के ग्राम तुमड़ीकसा निवासी नारायण बेल्सर बालाघाट में बीएसएनएल कंपनी में एसडीओ हैं। जहां उनका पूरा परिवार पति पत्नि और उनकी बच्ची निवास करते हैं। घटना 15 दिन पहले की है। साढे़ नौ साल की बच्ची जीया बेल्सर उसी परिसर में खेल रही थी। उसी समय एक मधूमक्खी ने उसे काटा। काटने के तुरंत बाद रोते बीलकते कमरे में गई और वहां जाकर बेहोश हो गई। पिता जिस जगह नौकरी करते हैं उन्ही स्टॉफ के साथियों की कार के माध्यम से उसकी मम्मी ने तुरंत बच्ची को गोद में उठाया और बालाघाट के किसी निजी अस्पताल ले गई। थोड़ा बहुत इलाज किया उसके बाद डॉक्टर ने जवाब दे दिया और कहा कि मेरे बस से बाहर है मैं बच्ची को तुरंत गोंदिया रिफर कर देता हुं। गोंदिया के किसी बड़े अस्पताल में पहुंचे तो बच्ची को आक्सीजन गैस में रखा गया था क्योंकि मधुमक्खी के डंक का जहर इतना तेजी से फैल गया था कि बच्ची सांस भी नहीं ले पा रही थी दो दिनों तक इलाज करने के बाद वह भी हार मान गये और चेहर हास्पिटल नागपुर ले जाने की सलाह परिजनों को दी।
वेंटिलेशन बना 10 दिनों तक बच्ची की ज़िंदगी का सहारा ले जाते ही इलाज जारी रहा। चूंकि बच्ची सांस नही ले पा रही थी इसलिए उन्हें कृत्रिम रूप से आक्सीजन देने वाली मशीन वेंटिलेशन में रखा गया था। नौ-दस दिनों तक वेंटिलेशन बच्ची के जीवन का सहारा बनी फिर उस अस्पताल के डॉक्टरों ने भी परिजनों के सामने सिर झुका दिया और कहे कि कैसे करें सर अब तो ठीक ही नहीं हो रहा है। इस प्रकार से उस अस्पताल के डॉक्टरों ने भी हार मान ली और 14 जून की रात बच्ची को नागपुर के अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। जिसके बाद बच्ची के परिजनों ने वेंटिलेशन के साथ ही घर तक लाया। डॉक्टरों ने कहा था कि जब तक कृत्रिम सांस के लिए मशीन सहारा है तब तक जिन्दगी रहेगी। रात भर सफर करने के बाद जैसे ही अपने घर बालोद जिले के ग्राम तुमड़ीकसा (भंवरमरा) पहुंचे और जैसी ही वेंटिलेशर को बच्ची से अलग किया तो कुछ समय तक सांस चली फिर 15 जून को दुनिया से अलविदा कह गई।
डंक का इतना असर की हार्ट भी फेल और ब्रेन भी फेल
बच्ची के दादा शिक्षक बी.आर.बेल्सर ने बताया कि जिस स्थान पर बच्ची खेल रही थी। उसी स्थान पर उनके लड़के और पूरा परिवार निवास करता है। घर के सामने एक मैदान है जहां बच्ची खेल रही थी और आसपास में कई जगहों पर मधुमक्खीयों के झुंड होने के कारण मधुमक्खीयां मंडराते रहते हैं। बच्ची और उनके परिवार वालों को जरा सा भी अंदाजा नही था कि मधुमक्खी बच्ची पर हमला कर देगी। दादा ने बताया कि मधुमक्खी ने बच्ची के चेहरे और बाह को काटा था। डंक का जहर लगातार फैलता गया जिसके कारण बच्ची का हार्ट और ब्रेन काम करना बंद कर दिया था।