रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आव्हान पर निवेशकों ने अपना रुचि दिखाई है। राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय संगोष्ठी- वनौषधि 2018 का कार्यक्रम रखा गया है। जिसमें पहले ही दिन देश की तीन हर्बल कंपनियों की ओर से छत्तीसगढ़ में पूंजी निवेश के लिए राज्य औषधीय पादप बोर्ड के साथ परस्पर समझौते के चार एओयू पर साइन किया गया है। जो कि प्रदेश में वनोषधि क्षेत्र में विकास के लिए एक अच्छी खबर है।
गौरतलब है कि संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने देश के प्रमुख हर्बल औषधि निर्माताओं को आमंत्रित किया था। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में वनौषधियों की खेती और उनके प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना में पूंजी निवेश की काफी प्रबल संभावनाओं के बारे में निवेशकों को अवगत कराया था। सात ही यहल भी कहा कि अगर वो चाहें तो अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट लेकर एमओयू कर सकते हैं। हम लोग इसके लिए हमेशा तैयार हैं और हर्बल उद्योगों का राज्य में स्वागत करते हैं।
मुख्यमंत्री के प्रस्थान के बाद अपरान्ह में चार एमओयू हो गए। बोर्ड के अध्यक्ष रामप्रताप सिंह और उपाध्यक्ष जे.पी. शर्मा की उपस्थिति में बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी शिरीष चन्द्र अग्रवाल ने इन एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
अग्रवाल ने बताया कि जिन कंपनियों के साथ एमओयू हुआ है उनमें कोटा (राजस्थान) की कंपनी एडिला बायोटेक द्वारा छत्तीसगढ़ में दो हर्बल प्रोसेसिंग यूनिटों की स्थापना की जाएगी। इस कंपनी ने दो एमओयू किए हैं। इसके अलावा मुम्बई की कंपनी जयेश हर्बल ने कच्चे माल के लिए और हैदराबाद की एक कंपनी ने छत्तीसगढ़ में हर्बल खेती और प्रोसेसिंग कार्यों का प्रशिक्षण देने के लिए बोर्ड के साथ एमओयू किया है।
संगोष्ठी के प्रथम दिवस के विभिन्न सत्रों में छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न राज्यों से लगभग एक हजार वैद्य, हर्बल खेती करने वाले किसान, औषधीय पौधों के व्यापारी और लगभग पांच सौ फार्मेसी, आयुर्वेद तथा होम्योपैथी के चिकित्सक और संबंधित क्षेत्रों से जुड़े विद्यार्थी तथा विशेषज्ञ शामिल हुए।