नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता पर विराजमान आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में चुनाव आयोग ने 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया है। आयोग इस मामले में अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजेंगे। ये सभी विधायक 13 मार्च 2015 से आठ सितंबर 2016 तक संसदीय सचिव के पद पर थे। केजरीवाल सरकार पर ये मामला 2015 से ही तलवार बनकर लटका हुआ है।
दरअसल, आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। जिसके बाद 19 जून को वकील प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई थी। शिकायत में इसे ‘लाभ का पद’ बताया गया था, जिसके कारण इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अपील की थी।
इस मामले को लेकर मई 2015 में चुनाव आयोग में एक याचिका दायर की गई थी। हालांकि, अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर कहा था कि हमने संसदीय सचिव का पद देकर विधायकों को कोई आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा है। इसके अलावा राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।
विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था। हाईकोर्ट ने भी केजरीवाल सरकार द्वारा आप के 21 विधायकों (अब 20) को दिल्ली सरकार में मंत्रियों का संसदीय सचिव नियुक्त करने के फैसले को शून्य और निष्प्रभावी करार दिया था।
इन विधायकों की जाएगी सदस्यता–
- अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
- अल्का लांबा, चांदनी चौक
- अवतार सिंह, कालकाजी
- आदर्श शास्त्री, द्वारका
- कैलाश गहलोत, नजफगढ़
- जरनैल सिंह, तिलक नगर
- नरेश यादव, महरौली
- नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
- प्रवीण कुमार, जंगपुरा
- मदन लाल, कस्तूरबा नगर
- मनोज कुमार, कोंडली
- राजेश ऋषि, जनकपुरी
- राजेश गुप्ता, वजीरपुर
- विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
- शरद चौहान, नरेला
- शिव चरण गोयल, मोती नगर
- संजीव झा, बुराड़ी
- सरिता सिंह, रोहताश नगर
- सुखबीर दलाल, मुंडका
- सोम दत्त, सदर बाजार
बता दें कि पहले ये मामला 21 विधायकों का था, लेकिन राजौरी गार्डन से आप विधायक जरनैल सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जरनैल सिंह ने पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली विधानसभा से इस्तीफा दिया था।
इस मामले के बाद दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था। अपने फैसले के बचाव में केजरीवाल ने कहा था कि एक MLA बेचारा रोज़ अपना पेट्रोल ख़र्च करके अस्पतालों के चक्कर लगाता था, बताओ क्या ग़लत करता था? मोदी जी ने उसको घर बिठा दिया। किसी MLA को एक पैसा नहीं दिया, कोई गाड़ी, बंगला- कुछ नहीं दिया। सब MLA फ़्री में काम कर रहे थे। मोदी जी कहते- सब घर बैठो, कोई काम नहीं करेगा।
केजरीवाल ने कहा था कि एक MLA को बिजली पे लगा रखा था, एक को पानी पे, एक को अस्पतालों पे, एक को स्कूल पे। मोदी जी कहते हैं – ना काम करूँगा, ना करने दूँगा। मोदी जी लोक तंत्र का सम्मान नहीं करते, डरते हैं तो सिर्फ़ आम आदमी पार्टी से।