नई दिल्ली। आजकल मोबईल 24 घंटे इंटरनेट और कॉलिंग जैसे जैसे सस्ते हो रहे हैं, फोन पर वैसे वैसे ज्यादा वक्त बीतने लगा है। फोन आपको कैसे धीरे धीरे बीमार कर रहा है, शायद आपको इसका अंदाजा भी नहीं है। जानिए फोन कैसे आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
पीठ में दर्द
स्मार्टफोन की लत ऐसी है कि छोटा हो या बड़ा, इन दिनों हर कोई हाथ में स्मार्टफोन लिए और सर झुकाए नजर आता है। फोन को देखते समय आपकी गर्दन झुकी रहती है और यह रीढ़ की हड्डी के लिए बेहद बुरा है। इससे सर्वाइकल का दर्द बढ़ता है, पीठ के दर्द की समस्या होती है।
खराब आंखें
चश्मा लगने की एक बड़ी वजह आपका फोन है। हर वक्त फोन पर चैट करते रहना, उसी पर वीडियो देखना, रात को अंधेरे में भी फोन पर खबरें पढ़ते रहना, यह सब आंखों की रोशनी को कम करने में योगदान दे रहा है।
शुक्राणुओं की कमी
फोन से निकलने वाला विकिरण शुक्राणुओं की संख्या पर भी असर डालता है। यही वजह है कि पुरुषों को फोन जेब में ना रखने की हिदायत दी जाती है।
नींद की कमी
सोने से पहले भी फोन को बंद ना करना आपकी नींद पर असर डालता है। रात में भी मेसेज और अन्य नोटफिकेशन के कारण फोन बजता है और इससे नींद टूटती है। या तो फोन को बंद कर दें, या सायलेंट मोड पर डालें या फिर एयरप्लेन मोड का इस्तेमाल करें।
तनाव
ढेरों व्हट्सऐप ग्रुपों में शामिल होने के कारण फोन में मेसेज की बाढ़ सी आ जाती है। इन सबको वक्त रहते पढ़ना और सभी का जवाब देना हमेशा मुमकिन नहीं होता। दोस्तों और रिश्तेदारों के ये मेसेज आधुनिक जीवनशैली में तनाव का नया कारण बन गए गए हैं।
इंफेक्शन
आप अपने फोन का इस्तेमाल कहां कहां करते हैं? क्या टॉयलेट जाने से पहले आप इसे बाहर ही छोड़ कर जाते हैं? अक्सर लोग ऐसा नहीं करते। फोन पर बड़ी संख्या में कीटाणु मौजूद होते हैं जो हर वक्त आपके साथ रहते हैं और आपको बीमार करते हैं।
कान भी खराब
अगर आप हेडफोन लगा कर रखते हैं, तो बाकी लोगों की तुलना में आपके कान ज्यादा जल्दी खराब होने वाले हैं। रिसर्च दिखाती है कि हेडफोन के इस्तेमाल से कान में बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। कॉल सेंटर में काम करने वालों को इससे ज्यादा खतरा है।
कमजोर दिल
फोन के विकिरण का जितना बुरा असर दिमाग पर पड़ता है, उतना ही दिल पर भी। यह लाल रक्त कोशिकाओं पर वार करती है, जो दिल के सही से काम करने के लिए जरूरी हैं।
कैंसर
रिसर्च बताती है कि स्मार्टफोन से ऐसा विकिरण निकलता है जो कैंसर के लिए जिम्मेदार है। हालांकि इस रिसर्च को प्रमाणित करने के लिए आंकड़ों की कमी है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह एक धीमी गति से चलने वाली प्रक्रिया है। फोन के कारण ट्यूमर बनने में 20-25 साल लग सकते हैं और अब तक स्मार्टफोन को हमारे जीवन में आए इतना वक्त नहीं हुआ है।
जान का खतरा
ड्राइविंग के दौरान भी ध्यान फोन की ही ओर रहता है, बस कहीं कोई मेसेज ना छूट जाए। इस मेसेज को पढ़ने के चक्कर में ध्यान सड़क से हट जाता है और लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं। इसलिए फोन छोड़ें और अपनी सेहत का ध्यान रखें।