रायपुर (आदर्श दुबे)। सीएम डॉ. रमन सिंह के आस्ट्रेलिया दौरे से वापस आने के बाद प्रदेश के बहुप्रतिक्षित प्रशासनिक तबादले पर अब कभी भी मुहर लग सकती है। इस तबादले में सूबे के कई जिले प्रभावित हो सकते हैं। फिलहाल प्रदेश में तो कई ऐसे जिले है जहां पर कलेक्टर की पदस्थापना को एक साल भी पूरा नहीं हुआ है। उन्हें भी अब अपनी पुअर परफार्मेंस के चलते तबादले का शिकार होना पड़ सकता है।
आपको बता दें कि यह लिस्ट ज्यादा लंबी नहीं होगी पर चुनावी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण ज़रूर होगी। इसका मतलब यह है कि सरकार अपने भरोसे के अफसरों को फील्ड पर भेजने की तैयारी में हैं।
2010 बैच की आईएएस रानू साहू का नंबर अबकी बार लग सकता है। क्योंकि उनके बैच के सभी अधिकारी एक साल पहले ही कलेक्टर बन चुके है, और उनके पति अभी सुकमा कलेक्टर है।
इसी प्रकार 2011 बैच का भी नंबर लग सकता है। इसके अलावा सरकार माटी पुत्रों पर भी भरोसा जता सकती है जिनमें 2011 बैच के जितेंद्र शुक्ला और 2008 के बैच के महादेव कांवड़े का भी नाम शामिल है।
कांवड़े को एनआरडीए में बेहतर काम का ईनाम मिल सकता है, कांवड़े अभी एनआरडीए के महाप्रबंधक है, तो वहीं जितेंद्र शुक्ला सरकार के परखे हुए अधिकारी है। बात चाहे आईपीएल के समय स्टेडियम तैयार करने की हों या नई शराब नीति के क्रियान्वयन की, सरकार ने इन सभी चुनौतियों पर जितेंद्र शुक्ला पर अपना भरोसा जताया है।
जानकारी के अनुसार जिन जगहों के कलेक्टर बदले जाएंगे उनमें जांजगीर, गरियाबंद, धमतरी, दंतेवाड़ा, जशपुर, बीजापुर और बलरामपुर का नाम प्रमुख है। इनमें गरियाबंद को छोड़कर बाकि सभी जगहों पर कलेक्टर्स को डेढ़ साल से अधिक समय हो चुका है। चुनाव के आते तक इन सभी को ढाई साल हो जाएंगे। ऐसे में चुनाव आयोग का डंडा पड़ने का भी पेंच फंसा सकता है। जिसके मदेदनजर सरकार समय रहते अपने सभी सेनापतियों को मोर्चे पर तैनाती में जुड़ गई है। जिससे चुनाव आने तक वो ढ़ल जाए और अपना काम बेहतर तरीके से कर सकें।