रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं का हार्दिक अभिनंदन किया है। डॉ. सिंह ने महिलाओं सहित आम जनता को भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह दिवस पूरी दुनिया में महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के स्वाभिमान का प्रतीक बन गया है। इसके साथ ही यह दिवस मानव समाज में महिलाओं और पुरूषों के बीच समानता का भी संदेश लेकर आता है।
डॉ. सिंह ने कहा कि भारत के अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ की महिलाएं भी सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक विकास के हर क्षेत्र में अब अग्रणी और निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। राज्य सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में विगत 14 वर्ष में कई सार्थक कदम उठाए हैं। त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव में उन्हें 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जबकि खुशी की बात है कि इससे कहीं अधिक संख्या में महिलाएं ग्राम पंचायतों, जनपद पंचायतों और जिला पंचायतों में निर्वाचित होकर आ रही हैं और जनता का नेतृत्व करते हुए पंचायती राज को सुदृढ़ बनाकर गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छ छत्तीसगढ़ के निर्माण में भी प्रदेश की महिलाएं उत्साह के साथ काम कर रही हैं। नशे की सामाजिक बुराई के खिलाफ जनजागरण, साक्षरता अभियान और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान में भी प्रदेश की महिलाएं अग्रणी हैं। हाईस्कूल कक्षाओं में बालिकाओं को निःशुल्क साईकिल वितरण के लिए संचालित सरस्वती साईकिल योजना से स्कूलों में बालिकाओं की दर्ज संख्या 65 प्रतिशत से बढ़कर 93 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
डॉ. रमन सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों की योजनाओं में महिलाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। राज्य सरकार ने जमीन-जायदाद की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम से होने पर उन्हें स्टाम्प शुल्क में एक प्रतिशत की छूट दी है। यह प्रावधान वर्ष 2008 से लागू किया गया है और अब तक पांच लाख 60 हजार से ज्यादा रजिस्ट्री के दस्तावेजों में महिलाओं को 431 करोड़ 79 लाख रूपए की छूट का लाभ मिला है। डॉ. सिंह ने कहा-राज्य सरकार ने महिलाओं की सेहत को बेहतर बनाने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से भी कई योजनाएं शुरू की हैं।
गर्भवती माताओं को लगभग डेढ़ साल पहले मई 2016 से शुरू की गई महतारी जतन योजना के तहत इन केन्द्रों में सप्ताह में छह दिन ताजा और पौष्टिक भोजन निःशुल्क दिया जा रहा है। लगभग एक लाख 60 हजार महिलाएं इसका लाभ उठा रही हैं। डॉ. सिंह ने कहा-वर्ष 2005 से संचालित मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत गरीब परिवारों की 70 हजार से ज्यादा बेटियों के विवाह सामूहिक विवाह समारोहों में सम्पन्न हुए और उन्हें 73 करोड़ रूपए की सहायता दी गई। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से भी महिला सशक्तिकरण अब एक जन आंदोलन बन चुका है। छत्तीसगढ़ महिला कोष की ओर से विगत 14 वर्ष में 32 हजार 855 महिला स्व-सहायता समूहों को लगभग 69 करोड़ रूपए का ऋण विभिन्न व्यवसायों के लिए दिया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा-राज्य सरकार ने कॉलेज स्तर तक बालिकाओं को शिक्षण शुल्क में पूरी छूट दी है।
डॉ. सिंह ने कहा-छत्तीसगढ़ सरकार ने केन्द्र के सहयोग से विगत लगभग ढाई साल में राज्य के सभी 27 जिलों में संकटग्रस्त महिलाओं की मदद के लिए सखी वन स्टाप सेंटरों की स्थापना कर दी है। राज्य के दुर्ग और कोरिया जिले में पुलिस महिला स्वयं सेविका योजना (चेतना) शुरू की गई है। दोनों जिलों में इस योजना के लिए 9 हजार से ज्यादा महिलाओं का चयन किया गया है।
प्रधानमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली उज्ज्वला योजना के बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 35 लाख के लक्ष्य के विरूद्ध गरीब परिवारों की लगभग 18 लाख महिलाओं को रसोई घरों के धुंए से मुक्ति मिली है। उन्हें सिर्फ 200 रूपए के पंजीयन शुल्क पर रसोई गैस कनेक्शन, डबल बर्नर चूल्हा और पहला भरा हुआ सिलेण्डर निःशुल्क प्रदान किया है। योजना शुरू होने के सिर्फ डेढ़ साल के भीतर यह उपलब्धि हासिल की गई है। शुचिता योजना के तहत राज्य के 20 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के दो हजार से ज्यादा स्कूलों में बालिकाओं को सेनेटरी नेपकिन देने के लिए वेंडिंग मशीन लगाई गई है। इसके सकारात्मक नतीजों को देखते हुए अब नये वित्तीय वर्ष में योजना का विस्तार बालिकाओं की पर्याप्त दर्ज संख्या वाले सभी हाईस्कूलों, हायर सेकेण्डरी स्कूलों और कॉलेजों में किया जाएगा, जिसका लाभ दस लाख बालिकाओं को मिलेगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों की मदद के लिए भी श्रम विभाग के माध्यम से राज्य शासन द्वारा कई योजनाएं शुरू की गई हैं। वर्ष 2011 से 2017 के बीच सिर्फ छह वर्ष के भीतर एक लाख से ज्यादा महिलाओं को निःशुल्क साईकिल और 35 हजार से ज्यादा महिलाओं को निःशुल्क सिलाई मशीनों का वितरण किया जा चुका है। प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के लिए नये वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में 100 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है और अब तक तीन जिलों – धमतरी, बस्तर तथा कोण्डागांव में चल रही इस योजना का विस्तार नये वित्तीय वर्ष में सभी 27 जिलों में हो जाएगा। प्रत्येक गर्भवती महिला को इस योजना के तहत तीन किश्तों में कुल पांच हजार रूपए सहायता देने का प्रावधान है। डॉ. सिंह ने कहा-राज्य सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए नये वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1929 करोड़ 42 लाख रूपए का बजट प्रावधान किया है, जो वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 के मुकाबले 119 करोड़ रूपए ज्यादा है।