रायपुर। विधानसभा चुनाव से पहले इस साल छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को राहत देने वाला बड़ा निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री रमन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में धान खरीद के साथ किसानों को दिए जाने वाले समर्थन मूल्य के साथ ही बोनस देने का फैसला लिया गया। इसकी अनुमति के लिए 11 व 12 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है।
बैठक के बाद सीएम रमन सिंह ने केबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने एक नवंबर 2018 से शुरू हो रही धान खरीदी के दौरान किसानों को धान के समर्थन मूल्य के साथ-साथ प्रति क्विंटल 300 रुपए का बोनस देने का निर्णय लिया। सिंह ने बताया कि इस बार किसानों को धान पर लगभग 2400 करोड़ रुपए का बोनस मिलेगा। इस खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 के लिए केंद्र सरकार द्वारा ए-ग्रेड धान पर 1770 रुपए और कॉमन धान पर 1750 रुपए प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य निर्धारित किया है।
कैबिनेट की बैठक में पांच सितंबर से सरकार की शुरू हो रही अटल विकास यात्रा को लेकर भी चर्चा की गई। अटल विकास यात्रा की शुरुआत राजनांदगांव के डोंगरगढ़ के बम्लेश्वरी मंदिर से की जाएगी। विकास यात्रा की शुरुआत में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह शामिल होंगे। इनके अलावा अटल विकास यात्रा में महाराष्ट्र, यूपी, झारखंड के मुख्यमंत्री भी शामिल होने आएंगे। दुर्ग सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में फैले डेंगू को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि डेंगू पर अब नियंत्रण कर लिया गया है, लेकिन और किसी शहर में विस्तार ना हो इस बात का ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं।
ये फैसला भी लिया गया
कैबिनेट ने 31 दिसंबर 2016 तक भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत दर्ज वसूली योग्य 19 हजार 832 प्रकरणों को वनवासियों के व्यापक हित में अपलेखित (समाप्त) करने का भी निर्णय लिया। ये ऐसे प्रकरण है, जिनमें 20 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। अपलेखित करने पर अब यह जुर्माना उन्हें नहीं देना होगा।
रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इसके पहले 30 जून 2004 की स्थिति में वन अधिनियम के तहत दर्ज इस प्रकार के दो लाख 57 हजार 226 प्रकरणों को भी अपलेखित (समाप्त) कर दिया था। इन प्रकरणों को समाप्त करने का निर्णय मंत्रिपरिषद की 14 अक्टूबर 2005 की बैठक में लिया गया था। इनमें 12 करोड़ 91 लाख रुपए की राशि का अपलेखन करते हुए वन अपराध के प्रकरणों को जनहित में समाप्त कर दिया गया था।
इनमें से कई प्रकरण 50 वर्ष से भी पुराने। उस समय राज्य सरकार के इस फैसले से अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के एक लाख 06 हजार 630 लोग लाभान्वित हुए थे। आज लिए गए निर्णय से अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गाें के लगभग 12 हजार लोगों को लाभ मिलने की संभावना है।