नई दिल्ली। कई बार ऐसा होता है कि वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान ऐसे जरूरतमंद लोग फंस जाते हैं, जिन्हें रोकना उनके लिए मुश्किल का सबब बन जाता है। ऐसा ही एक वाक्या शनिवार (23 जून) को इंदौर में देखने को मिला जब पीएम नरेंद्र मोदी के काफिले को लेकर ट्रैफिक व्यवस्था को रोका गया था। इसी दौरान एक एम्बुलेंस भी इसमें आकर फंस गई। एम्बुलेंस में मरीज की हालत को देखकर वहां मौजूद एक अधिकारी ने बेहद सूझ-बूझ का परिचय देते हुए एंबुलेंस को वहां से निकलने दिया। ये पूरा घटनाक्रम पीएम मोदी के काफिला वहां से गुजरने से पहले का है। दूसरी ओर अधिकारी ने जिस सूझबूझ से ये कदम उठाया बाद में हाईकोर्ट के जज ने भी इसकी तारीफ की है। साथ ही दूसरे लोग भी अधिकारी के इस कदम की जमकर सराहना कर रहे हैं।
23 जून का है मामला
पूरा मामला 23 जून को तब सामने आया जब पीएम मोदी स्वच्छता अवॉर्ड बांटने के लिए इंदौर पहुंचे थे, इसी दौरान एयरपोर्ट से कार्यक्रम स्थल तक के रूट पर ट्रैफिक व्यवस्था को रोका गया था। इस दौरान इंदौर के बंगाली चौराहा के पास जब पीएम मोदी का काफिला गुजरने वाला था, उससे ठीक पहले वहां एक एम्बुलेंस फंस गई। इस दौरान वहां तैनात सीएसपी मनोज रत्नाकर ने सूझ-बूझ का परिचय देते हुए एम्बुलेंस को ट्रैफिक से निकालने का फैसला लिया और वहां से जाने दिया। इस दौरान तक पीएम मोदी का काफिला वहां नहीं पहुंचा था।
सीएसपी मनोज रत्नाकर ने दिखाई सूझ-बूझ
अधिकारी मनोज रत्नाकर के इस खास कदम की जानकारी जब इंदौर हाईकोर्ट के जज को हुई तो उन्होंने भी सीएसपी मनोज रत्नाकर को शाबाशी दी। उनके साथ-साथ इंदौर के लोग भी अधिकारी की इस सूझ-बूझ की जमकर सराहना कर रहे हैं।
हाईकोर्ट के जज ने दी शाबाशी
बता दें कि जिस एंबुलेंस को मनोज रत्नाकर ने ट्रैफिक से निकालने का फैसला लिया उसमें 73 वर्षीय निशा वैद्य थीं। उन्हें पैरालिसिस का अटैक हुआ था और उनकी हालत बेहद गंभीर थी। उनकी स्थिति को देखते हुए ही मनोज रत्नाकर ने पीएम मोदी के काफिले का पता लगाने के बाद एम्बुलेंस को जाने की इजाजत दी। अस्पताल में समय से इलाज मिलने की वजह से निशा वैद्य फिलहाल ठीक हैं।