रायपुर। दिल्ली में संसदीय सचिवों को लेकर आए ऐताहिसक फैसले के बाद छत्तसीगढ़ में खतरा मंडराने लगा है। दरअसल छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय सचिवों का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। जिसकी अंतिम दौर की सुनवाई जारी है।
दिल्ली में राजनीति समीकरण अलग थे इसलिए दिल्ली सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा। परंतु छत्तीसगढ़ सरकार पर अगर संसदीय सचिवों के पक्ष में फैसला नहीं आता है तो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार गिर सकती है। दरअसल छत्तसीगढ़ में 90 विधानसभा सीट है। जहां पर भाजपा के पास 49 विधायक हैं। इन 49 विधायको में 11 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है। अगर इनके पक्ष में फैसला नहीं आता है या कहे तो 11 संसदीय सचिवों को असंवैधानिक करने का निर्णय हुआ तो। भाजपा के पास 38 सीट बच जाएंगे। ऐसे में निश्चित तौर पर भाजपा की सरकार गिर सकती है। मसलन अगर दिल्ली वाली स्थिति छत्तीसगढ़ में निर्मित होती है तो यहां सरकार पर संवैधानिक संकट आ जाएगा।
संसदीय सचिवों को ये मिलती है सुविधा-
मासिक वेतन – 75 हजार रुपए, (11 अतिरिक्त भत्ता) – कुल 25 लाख रुपए मासिक खर्च, मंत्रायल में अलग से कमरा, मंत्रालय से अलग डी और ई टाइप कमरे, लाल बत्ती लगी लक्जरी फोर व्हीलर बड़ी गाड़ी, अलग ऑफिस और टेलीफोन, सरकारी डीजल रोजकोष से फ्री, सुरक्षा के लिए 1 से 4 गार्ड, शासकीय बंगले, 06 चौकीदार 2 रसोइया सहित।
छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों के मामले में एक नजर
– 13 दिसंबर 2016 को बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर
– 13 फरवरी 2017 को राज्य शासन, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को नोटिस जारी
– 27 अप्रैल 2017 को नोटिस के 10 हफ्ते बाद भी जवाब नहीं मिला
– 02 मई 2017 को राज्य शासन के एक सचिव हाईकोर्ट में उपस्थित हुए
– 28 जून 2017 को शासन का जवाब नहीं आने पर हाईकोर्ट ने मामले को अंतिम सुनवाई के लिए रखा
– कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 तक शासन से शपथ पत्र में जवाब मांगा था
– 25 जुलाई 2017 को सुनवाई टली
– 31 जुलाई 2017 को तकनीकी त्रुटि का हवाला देते हुए फिर सुनवाई टल गई, लेकिन कोर्ट ने मेंसन किया सुप्रीम कोर्ट ने असम के 11 संसदीय सचिवों को अवैध माना है
– 23 अगस्त 2017 को मामले की अंतिम सुनवाई एक दिन के लिए टली
– 24 अगस्त 2017 शासकीय महाधिवक्ता की अनुपस्थ्तिति में फिर सुनवाई टली
– 12 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश ने व्यस्सता का हवाला देकर अगली तारीख दी
– 12 जनवरी 2018 को सुनवाई होनी थी, मगर मुख्य न्यायाधीश छुट्टी पर थे
– 12 जनवरी को ही शाम 4 बजे मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन का स्थानातंरण आदेश जारी हो गया
आपको बता दें अब जिस दिन मुख्य न्यायाधीश ने मामले को अंतिम सुनवाई के लिए रखा था। यानी 12 जनवरी को उसी दिन मुख्य न्यायाधीश का स्थानातंरण आदेश जारी हो गया था। वहीं कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों की नियुक्ति अवैध मानकर उनकी विधान सभा सदस्यता खत्म कर दिया तो स्थिति उलट हो जाएगी। दिल्ली में 20 विधायकों के सदस्यता खत्म करने के बाद भी 66 विधायक वाले आम आदमी पार्टी की सरकार तो बच गई मगर छत्तीसगढ़ में सरकार पर संवैधानिक संकट आ जाएगा।