Sunday, December 2, 2018
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कोयलीबेड़ा में जनअदालत लगाकर नक्सलियों ने ग्रामीण की हत्या की, इन इलाकों पर सक्रिए हुए नक्सली.. जाने क्या हैं मकसद

naxalite

कांकेर। कोयलीबेड़ा थाना इलाके के सावलीबरस के ग्रामीण की नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर हत्या कर दी। नक्सलियों ने ग्रामीण दयाराम गावड़े पर पुलिस की मुखबिरी करने का आरोप लगाया है। और मंगलवार की रात जन अदालत लगाई। दयाराम उस वक्त भोजन कर अपने परिजनों के साथ सोने की तैयारी कर रहा था। इसी दौरान लगभग दो दर्जन हथियार बंद नक्सली उसके घर पहुंचे थे। जिसमें कुछ नक्सली वर्दीधारी भी थे। नक्सलियों ने उसे घर से बाहर बुलाया जहां पहले से ही गांव के कुछ लोग और संगम सदस्य मौजूद थे। इन सभी के सामने नक्सलियों ने दयाराम के साथ मारपीट की और पुलिस के लिए काम करने का आरोप लगाया।

दयाराम नक्सलियों से रहम की अपील करते रहा कि मुझे छोड़ दिया जाए, मैं कोई मुखबिर नहीं हूं। मगर नक्सलियों के डर से किसी ने उसकी मदद नहीं की। अंततः नक्सलियों ने बुजुर्ग की पीट-पीटकर हत्या कर दी।

कोयलीबेड़ा के थाना प्रभारी पवन वर्मा ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस दल मौके पर पहुंचा और शव का पोस्टमार्टम करवाया। ग्रामीणों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। पोस्टमार्टम में गला दबाकर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई है। ग्रामीणों के बयान के आधार पर नक्सलियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज किया जाएगा।

आखिर नक्सली क्यो अंतागढ़, भानुप्रतापपुर और कोयलीबेड़ा को निशाना बना रहे है..

दरअसल नक्सली इन दिनों कांकेर के जिले के कोयलीबेड़ा, भानुप्रतापपुर और अंतागढ़ ब्लाक में सक्रियता दिख रही है। पिछले कई महिने से नक्सली इन इलाकों पर काफी दबाव बनाए हुए है। आए दिन नक्सली यहां वारदातों को अंजाम देते दे रहे है। इसे पुलिस प्रशासन का फेलियर कहे या कहे कि इन इलाकों में हो रहे वारदातों को पुलिस गंभीरता से नहीं ले रहा है। बुधवार को अंतागढ़ में बीजेपी सांसद विक्रम उसेंडी के फॉर्म हाउस में ब्लास्ट की घटना हो या फिर बेकसूर ग्रामीणों की जन अदालत लगाकर हत्या कर देना हो.. या फिर विकास में रोड़ा बनकर मोबाइल टॉवर को उड़ा देना। इस घटना से आम जन तो परेशान है ही। साथ ही वहां काम करने वाले किसान, मजूदर के साथ -साथ ठेकेदार व कंपनी संचालक परेशानी के जूझ रहे है। इन इलाकों पर अपनी पूरी तरह से पैठ बनाने की कोशिश में नक्सली काम कर रहे है। साथ ही लोगों में नक्सलियों के प्रति दहशत पैदा करने में लगे है।  

इन इलाकों पर ठेकेदारों को काम करने में हो रही मुश्किलें

यहीं नहीं इन इलाकों में जैसी ही वीआईपी का मूवमेंट होता है या फिर कोई छोटी सी भी नक्सली वारदात होती तो फौरन काम बंद करा दिया जाता है। इससे विकास में तो बाधा हो रही है। साथ ही मजदूरी को भी नुकसान उठाना पड़ता है। आए दिन बंद से एक तरफ मजदूर परेशान है कि उनकी एक दिन की रोजी छूट जाती है। तो ठेकेदार भी परेशान है कि आए दिन बंद से काम में बांधा हो रही है। बस्तर के इन अंधरुनी इलाकों में काम करने वाले ठेकेदार बताते है कि आए दिन काम बंद करने से काफी परेशानी होती है। पहले तो मजूदर नहीं मिलते और मिल भी जाते है तो काम बंद करने से वे काम छोड़कर भाग जाते है। इसके साथ ही काम बंद करने उनको काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में पुलिस प्रशासन पर भी आरोप लगाते हुए कहते है कि इन हालातों में भी पुलिस प्रशासन कोई मदद नहीं करते। उल्टे काम बंद करने की सलाह देते है। ऐसे में ठेकेदार अपनी जिम्मेदारी से अपनी रिक्स पर काम करने को मजबूर है।  

बता दें ये वहीं इलाका है जहां से नक्सली महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा लगती है। इन्ही इलाकों से नक्सली आना जाना भी करते है।

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