Friday, December 7, 2018
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हर शिक्षक होता है राष्ट्रवादी, हमें इसे दिखाने के लिए किसी ढकोसले की जरूरत नहीं: वीरेंद्र दुबे

virendra dubey

रायपुर। शिक्षक राष्ट्र निर्माता की भूमिका में होता है इसलिए हर शिक्षक राष्ट्रवादी भावना से ओतप्रोत होता है। मैं और मेरे शिक्षाकर्मी भाई-बहन भी पूरी तरह राष्ट्रवादी विचारों से परिपूर्ण है। पर इसे दिखाने के लिए हमें किसी ढकोसले की जरूरत नहीं है। यह कहना है शिक्षाकर्मी मोर्चा के प्रदेश संचालक वीरेंद्र दुबे का जिन्होंने कहीं न कहीं वर्तमान में शिक्षाकर्मी मोर्चा को तोड़ने की कोशिश में लगे शिक्षक विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया है, उनका सीधा कहना है की प्रदेश के शिक्षाकर्मी भारत माता की जय भी कहेंगे, वंदे मातरम भी कहेंगे, जय श्रीराम भी कहेंगे और संविलियन भी लेकर रहेंगे। इसके लिए उन्हें किसी खास संगठन से जुड़ने की या दिखावा करने की जरूरत नहीं है बल्कि प्रदेश के 95% शिक्षाकर्मियों का विश्वास पांच प्रदेश अध्यक्षों द्वारा मिलकर बनाए गए शिक्षाकर्मी मोर्चा पर है और मोर्चा ही शिक्षाकर्मियों के संविलियन की मार्ग को प्रशस्त करेगा।

गीदड़ को शेर की खाल पहना देने से गीदड़ शेर नहीं हो जाता – वीरेंद्र दुबे

नए बने संघ पर सवाल पूछे जाने पर वीरेंद्र दुबे का कहना है कि हर व्यक्ति अपना संगठन तैयार करने के लिए स्वतंत्र है। लेकिन दूसरों को कोसने और अफवाहों के मायाजाल से किसी का संगठन बड़ा नहीं हो जाता इसके लिए जमीन पर उतर कर संघर्ष करना पड़ता है, गीदड़ को शेर की खाल पहना कर भले ही पेश कर दिया जाए पर गीदड़ गीदड़ ही रहेगा, यही शाश्वत सत्य है। खुद को शिक्षाकर्मियों का हितैषी और संविलियन दिलाने के नाम पर तैयार किया गया। छत्तीसगढ़ शिक्षक महासंघ आज वही काम कर रहा है जिसके लिए वह दूसरे संगठनों को कोसते आया है जबकि आज तक उसने जमीन की कोई लड़ाई नहीं लड़ी है फिर भी हमारा कहना है कि जिसे जो प्रयास करना है कर के देख ले, लेकिन पुराने संगठनों को कोसने और दूसरों पर दोषारोपण करने के बजाय नया संघ खुद जमीनी स्तर पर कार्य करके अपना वजूद तैयार करें तो वह ज्यादा बेहतर होगा हमने खुद को काम करके और सरकार के विरुद्ध बिगुल फूंक के साबित किया है अब उनकी बारी है।

किसी भी कर्मचारी संगठन को राजनैतिक दलों से बनाकर रखनी चाहिए दूरी – वीरेंद्र दुबे

वीरेंद्र दुबे का स्पष्ट मानना है कि देश का चाहे कोई भी कर्मचारी संगठन क्यों ना हो उसे किसी भी राजनीतिक दल से बराबर दूरी बनाकर रखना चाहिए और स्वतंत्र रूप से काम करते हुए कर्मचारियों के हित में सरकार के विरुद्ध लड़ाई लड़नी चाहिए फिर सामने चाहे किसी की भी सरकार हो। किसी पार्टी विशेष के इशारों पर नाचने वाले कभी भी कर्मचारियों का हित नहीं सोच सकते वह केवल सरकारी हित में एकता को बाधित करने का ही प्रयास करते हैं और वहीं उनकी एकमात्र कोशिश होती है। इसीलिए उनका गठन किया जाता है ताकि समय पड़ने पर उन्हें अपने उंगलियों पर नचाया जा सके और यही प्रयास शिक्षाकर्मियों के मामले में भी हुआ है ताकि शिक्षाकर्मियों के बीच में पैठ बनाते हुए उनकी एकता को तोड़ा जा सके लेकिन लाख प्रयासों के बाद भी ऐसे लोग अपने विचारधारा में कामयाब नहीं होंगे क्योंकि शिक्षाकर्मी अपने हितों के प्रति कटिबद्ध है न की किसी राजनीतिक दल के प्रति ।

आंदोलन से दूरी बनाने वाले संगठन नहीं हो सकते शिक्षाकर्मियों के हितैषी – दुबे

वीरेंद्र दुबे का स्पष्ट मानना है कि प्रदेश के शिक्षाकर्मियों के मनोभावों को जाने बगैर सरकार की गोद में जाकर बैठने वाले सात-आठ संगठन जिन्होंने सरकार को आंदोलन से दूर रहने का पत्र जाकर सौंपा था। वह उनकी निर्णायक गलती थी यदि उन्हें आंदोलन में साथ नहीं देना था तो फिर शांत रहना था ऐसे भी उनके विरोध करने के बावजूद प्रदेश के 95% शिक्षाकर्मी हड़ताल में शामिल थे और यह सरकारी आंकड़ा है इसका सीधा सा मतलब है कि 95% शिक्षाकर्मी मोर्चा के साथ है और 5% शिक्षाकर्मी 8 दलों के साथ, यही कारण है कि आज सरकार भी हालात को समझते हुए उन दलों को कोई अहमियत नहीं दे रही है और कहीं न कहीं उन्होंने आम शिक्षाकर्मियों का विश्वास खो दिया है, यही कारण है कि किसी आए हुए वे सात-आठ संगठन सोशल मीडिया पर मोर्चा को कोसने में लगे हुए हैं फिर भी मेरी उनसे व्यक्तिगत अपील है कि शिक्षाकर्मी हित में कार्य करें न कि सरकार विशेष के हक में ।

छत्तीसगढ़ शिक्षक महासंघ की असलियत हुई उजागर, किरकिरी से बचने के लिए झाड़ा जा रहा है पल्ला – वीरेंद्र दुबे

छत्तीसगढ़ शिक्षक महासंघ के प्रांतीय प्रवक्ता वीरेंद्र देवांगन के बयान पर मोर्चा के संचालक वीरेंद्र दुबे का कहना है कि यह बात संघ के गठन के समय कहनी चाहिए थी तब तो जोर शोर से सोशल मीडिया में इस संघ को RSS का बताते हुए जुड़ने की अपील की गई लेकिन अब शायद अपेक्षित सफलता मिलता ना देख इसे RSS से अलग बताया जा रहा है ताकि उनकी किरकिरी ना हो, स्वाभाविक सी बात है आंदोलन के ठीक बाद 14 संगठनों के होने के बावजूद एक और संगठन का गठन होना और पहले इसे RSS का समर्थन होना तथा मुख्यमंत्री का सम्मेलन के लिए समय मिलना बताकर प्रचारित करना पर फिर बाद में इससे पलट जाना यह प्रमाणित करता है की छत्तीसगढ़ शिक्षक महासंघ और इसके पोषक तत्वों को जमीनी हकीकत का अंदाजा हो गया है कि आखिरकार 95% शिक्षाकर्मी किसकी ओर है यही कारण है कि उनकी नाराजगी से बचने के लिए अब इस सच्चाई से पल्ला झाड़ा जा रहा हैं ।

वीरेंद्र दुबे ने शासन से भी अपील की है कि वह प्रदेश के एक लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों के हित में फैसला ले न की किसी संगठन को खुश करने की कोशिश में जुटे , प्रदेश के शिक्षाकर्मी के हित में जो प्रयास करेंगे शिक्षाकर्मी भी उन्हें कभी निराश नहीं करेंगे ।

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