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JNU कैंपस में 4 घंटे चक जारी रहा संग्राम, पुलिस बनी रही मूकदर्शक?

जेएनयू परिसर में छात्रसंघ के प्रदर्शन के बीच रविवार शाम नकाबपोशों लोगों  ने छात्रों पर हमला बोल दिया। हथियारों से लैस नकाबपोश जेएनयू परिसर में घुस गए और चार घंटे तक परिसर में बवाल मचाते रहे। अज्ञात नकाबपोशों ने साबरमती हॉस्टल, साबरमती टी-प्वाइंट सहित कई हॉस्टल में जमकर तोड़फोड़ की। पूरे बवाल के दौरान पुलिसकर्मी छात्रों को बचाने के लिए आगे नहीं आए। जेएनयू के छात्रों ने आरोप लगाया है कि साबरमती टी-प्वाइंट के पास जब नकाबपोशों ने हमला किया, तब वहां दिल्ली पुलिस के जवान मौजूद थे। मगर पुलिसकर्मियों ने छात्रों को बचाने की जहमत नहीं उठाई।

शिक्षकों को भी नहीं बख्शा : हंगामे की सूचना पर पहुंचे शिक्षकों को भी नकाबपोशों ने जमकर पीटा। इस हमले में  तीन दर्जन से ज्यादा छात्र और शिक्षक घायल हुए हैं। हंगामा बढ़ने के बाद जेएनयू प्रशासन ने पुलिस को दखल करने की मांग की।

खुलेआम हथियार लहराते रहे अज्ञात : प्रत्यक्षदर्शी छात्रों ने बताया कि रविवार शाम करीब 5 बजे बड़ी संख्या में नाकाबपोश साबरमती टी-प्वाइंट पर पहुंच गए। उनके हाथों में लोहे की रॉड, लाठी और हथौड़े सहित अवैध हथियार थे। इन्होंने आते ही छात्रों पर हमला कर दिया। अचानक हुए इस हमले से छात्रों में खलबली मच गई और वे जान बचाने के लिए हॉस्टल की ओर दौड़ने लगे। हमलावरों ने भी पीछा किया और  हॉस्टल तक पहुंच गए।

उन्होंने  हॉस्टल की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने के साथ ही छात्रों को भी जमकर पीटा। शाम 5 बजे से लेकर रात 9 बजे तक हमलावर परिसर के अंदर ही मौजूद रहे। ये खुलेआम परिसर में घूमते रहे। जिन किसी ने भी इनका विरोध किया उसे इन्होंने जमकर पीटा। छात्रों का आरोप है कि नकाबपोश अलग-अलग गेटों से परिसर में पहुंचे थे, जिनकी संख्या 200 से ज्यादा थी।

घेर कर पीटा : जेएनयू छात्रों ने आरोप लगाया कि नाकाबपोशों  ने सभी को चारों ओर से घेर लिया, जिसके बाद उन्होंने हमला किया। अचानक हुए हमले के बाद छात्रों ने अपनी जान बचाकर भागना शुरू किया। नकाबपोशों के डर से छात्र छतों, कमरों और पार्कों में पेड़ों के पीछे छिप गए। हमलावरों ने उन्हें ढूंढ़-ढूंढ़ कर पीटा।  नाकाबपोशों में लड़कियां भी शामिल थीं, जिन्हें पहले से हॉस्टल और अन्य रास्तों की जानकारी थी।

बवाल के दौरान पुलिस नहीं आई बचाने
पूरे बवाल के दौरान पुलिसकर्मी छात्रों को बचाने के लिए आगे नहीं आए। जेएनयू के छात्रों ने आरोप लगाया है कि साबरमती टी-प्वाइंट के पास जब नकाबपोशों ने हमला किया, तब वहां दिल्ली पुलिस के जवान मौजूद थे। मगर पुलिसकर्मियों ने छात्रों को बचाने की जहमत नहीं उठाई। हमलावरों ने पुलिसकर्मियों के सामने ही छात्रों को पीटा। इस दौरान दिल्ली पुलिस मूकदर्शक बनी रही।

नकाबपोश लोगों ने सुरक्षाकर्मियों को भी दौड़ाया
जेएनयू छात्रों ने आरोप लगाया कि नाकाबपोश लोगों ने गेट पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों के साथ भी मारपीट की है। सुरक्षाकर्मी जब उन्हें रोकने के लिए आए तो हमलावरों ने उन्हें भी दौड़ा दिया। नकाबपोशों ने लाठियों से सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर दिया। सुरक्षाकर्मी अपनी जान बचाने के लिए गेट की ओर भागे और उन्होंने गेट अदंर से बंद कर दिए, जिससे बदमाश अंदर न आ पाए और अंदर से बाहर न जा पाए। सुरक्षाकर्मियों ने ही जेएनयू प्रशासन को परिसर में नाकाबपोश बदमाशों के घुसने की सूचना दी।

हालात काबू में : पुलिस
रात करीब साढ़े नौ बजे पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हालात काबू में हैं। मामला शांत हो गया है और छात्रों के विभिन्न गुटों के साथ बातचीत चल रही है। कैंपस में माहौल शांत करने के लिए प्रशासन की टीमें भी जुटी हुई हैं। छात्रावासों में टोली बनाकर प्रशासनिक अधिकारियों और शिक्षकों की टीमें जा रही हैं और हालात सामान्य बनाने के लिए अपील कर रही हैं। वहीं पुलिस भारी संख्या में परिसर में फ्लैग मार्च कर रही थी। यह सिलसिला रात करीब नौ बजे से ही शुरू हो गया था।

शांति की अपील
पुलिस लाउड स्पीकर से लगातार शांति बनाए रखने की अपील करती रही। इस दौरान अधिकारी हिंसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी भी देते रहे। अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

रजिस्ट्रार बोले नकाबपोशों ने हमला किया
जेएनयू प्रशासन ने हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की। साथ ही छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की। रजिस्ट्रार प्रो प्रमोद कुमार ने बयान जारी कर कहा कि प्रशासन परिसर में किसी भी प्रकार की हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगा। रजिस्ट्रार प्रो. प्रमोद कुमार के अनुसार, 1 जनवरी से पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन 3 जनवरी को कुछ आंदोलनकारी छात्रों ने सर्वर रूम को बंद करते हुए पंजीकरण प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया। इसे लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जो छात्र आंदोलन में शामिल नहीं थे, उन्होंने 5 जनवरी को पंजीकरण करायाा। वह स्कूल भवनों में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन आंदोलनकारी छात्रों ने उन्हें रोका, जिसके बाद बवाल हुआ।

एबीवीपी बोली 11 सदस्य अभी भी लापता
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने रविवार को आरोप लगाया कि लेफ्ट समर्थित छात्र संगठन के सदस्यों ने जेएनयू इकाई के उसके सचिव समेत अन्य सदस्यों पर हमला किया और संगठन के 11 सदस्य लापता हो गए। एबीवीपी ने आरोप लगाया कि वाम छात्र संगठनों एसएफआई, आइसा और डीएसएफ से संबद्ध छात्रों ने उसके सदस्यों पर निर्ममता पूर्ण तरीके से हमला किया। संगठन की ओर से बयान जारी कर  कहा गया कि इस हमले में एबीवीपी के  करीब 25 छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। 11 छात्रों का अभी भी  पता नहीं है। एबीवीपी का कहना है कि इस संबंध में पुलिस से संपर्क किया जा रहा है। लापता छात्रों को ढूंंढ़ने के लिए संगठन के सदस्य अपनी ओर से भी प्रयास कर रहे हैं।

शिक्षक संघ बोला जेएनयू प्रशासन जिम्मेदार
जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा के लिए जेएनयू शिक्षक संघ ने जेएनयू प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। शिक्षक संघ ने बयान जारी करते हुए कहा कि रविवार को परिसर में जो भी हुआ, उसकी कड़ी निंदा करते हंै। हिंसा में जेएनयू प्रशासन की मिलीभगत से पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रही। नकाबपोशों ने न केवल कई छात्रों पर हमला किया, बल्कि छात्रावास में प्रवेश कर कई छात्रों को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस दौरान कैंपस में शांति की अपील कर रहे शिक्षकों पर भी पत्थर और लाठी से नकाबपोशों ने हमला किया। इस वजह से एक शिक्षक को सिर में चोट लगी है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं नकाबपोशों ने कई शिक्षकों की कारों में भी तोड़फोड़ की। शिक्षक संघ इस गंभीर स्थिति के लिए अकेले जेएनयू प्रशासन को जिम्मेदार मानाता है।

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